क्राइम

मनमोहन ने लिया था कोयला ब्लॉक आवंटन का फैसला

पूर्व कोयला
राज्यमंत्री दसारी नारायण राव ने कहा कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन का फैसला तत्कालीन
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का था

May 22, 2015 / 08:30 pm

सुभेश शर्मा

Manmohan Singh

नई दिल्ली। पूर्व कोयला राज्यमंत्री दसारी नारायण राव ने शुक्रवार को कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत को बताया कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन का फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का था। राव के वकील ने विशेष न्यायाधीश भरत पराशर के समक्ष दलील दी कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन का फैसला उनके (तत्कालीन प्रधानमंत्री) कार्यालय द्वारा लिया गया था।

राव इस मामले में खुद एक आरोपी हैं। राव के वकील ने अपने मुवक्किल के लिए जमानत की मांग करते हुए विशेष न्यायाधीश ने कहा कि कोयला मंत्रालय का प्रभार भी उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास ही था और उनके मुवक्किल का नवीन जिंदल समूह की कंपनियों को झारखंड में अमरकोंडा मुर्गदंगल कोयला ब्लॉक आवंटन से कोई लेना-देना नहीं है। वकील ने कहा कि, आवंटन के बारे में अंतिम फैसला तत्कालीन कोयला मंत्री ने लिया था, जो उस समय प्रधानमंत्री थे। मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है। कोयला राज्य मंत्री के रूप में राव ने सिर्फ नोट््स को आगे बढ़ाया। फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा लिया गया, मेरे मुवक्किल द्वारा नहीं।

इसी तरह पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता ने भी अपनी दलील में कहा कि जांच समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने सिर्फ सिफारिशों को कोयला मंत्री के पास भेजा। उनके वकील ने कहा कि, जांच समिति के चेयरमैन के रूप में गुप्ता को सिर्फ सिफारिशें कोयला मंत्री को भेजनी थीं, जो उस समय प्रधानमंत्री थे। जांच समिति सिर्फ सिफारिश भेजने वाला निकाय है। विभिन्न आरोपियों की जमानत याचिका पर बहस की सुनवाई के बाद अदालत ने उन्हें एक-एक लाख रूपए के निजी मुचलके एवं इतनी ही राशि की गारंटी के बाद जमानत दे दी। इनमें कांग्रेस नेता नवीन जिंदल, राव, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी शामिल हैं। विशेष अदालत ने इससे पहले मनमोहन सिंह को कोयला आवंटन घोटाले में आरोपी के रूप में तलब किया था। बाद में इस आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी।

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