जानकारी के मुताबिक, रविवार को बुरगुलीकेला गांव में पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा एक बैठक बुलाई गई थी। गुलीकेला पंचायत के उपप्रमुख जेम्स भूड ने पत्थलगड़ी समर्थकों का विरोध किया। उसका रविवार को कथित तौर पर छह लोगों के साथ अपहरण किया गया था। जब वे सोमवार को नहीं लौटे तो परिवार के सदस्यों ने अनहोनी की आशंका से पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। मंगलवार को खबर फैली कि उन्हें मार दिया गया है। पुलिस ने मंगलवार को तलाशी अभियान शुरू किया, लेकिन अब तक एक भी शव बरामद करने में नाकामयाब रही है।
बताया जा रहा है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इलाके में डेरा डाले हैं और तलाशी अभियान अभी भी चल रहा है। गौरतलब है कि पत्थलगड़ी एक आदिवासी रिवाज है, जिसमें सीमांकन के लिए एक निश्चित जगह पर पत्थर को लगा दिया जाता है। पत्थलगड़ी का इस्तेमाल 2016 में भाजपा सरकार द्वारा लाए गए दो भूमि अधिनियमों में संशोधन का विरोध करने के लिए किया गया था। पत्थर का इस्तेमाल सरकार के विरोध प्रदर्शन के रूप सरकार के नीतियों के खिलाफ नारे लिखने के लिए किया जाता है। सरकार के खिलाफ पत्थलगड़ी का समर्थन करने के लिए सैकड़ों लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। यहां तक कि राजद्रोह के आरोप भी लगाए गए और कई गिरफ्तार किए गए। हेमंत सोरेन ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में पत्थलगड़ी से संबंधित मामलों को वापस ले लिया।