नागेश्वर राव को कोर्ट ने दी थी सजा
सुप्रीम कोर्ट ने शेल्टर होम केस में 12 फरवरी को सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम. नागेश्वर राव को अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया। राव ने सीबीआई का अंतरिम निदेशक रहने के दौरान कोर्ट के प्रतिबंध के बावजूद मामले की जांच कर रहे एजेंसी के अधिकारी तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक ए.के.शर्मा का तबादलता कर दिया। कोर्ट ने इसे अदालत की अवमानना करार देते हुए नागेश्वर राव को पूरी कार्यवाही तक अदालत में ही बैठने का निर्देश दिया, इसके साथ ही एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
चीफ जस्टिस ने कहा-कोई भी दोषी नहीं बचेगा
पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने मुजफ्फरपुर केस को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया और निचली अदालत के न्यायाधीश को रोजाना सुनवाई कर मामले को छह महीने में समाप्त करने का निर्देश दिया। मामले को ट्रांसफर करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि कोई भी दोषी नहीं बचेगा लेकिन यही मामले का अंत नहीं है। जस्टिस गोगोई की बेंच ने केस को दिल्ली ट्रांसफर किया हालांकि सीबीआई वकील ने कोर्ट से कहा कि मामले को पहले ही मुजफ्फरपुर से पटना ट्रांसफर किया जा चुका है। कोर्ट को बताया गया कि मामले में आरोपपत्र दिसंबर 2018 में दाखिल किया गया और इस मामले में 21 गवाह हैं।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि मुंबई की टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने बिहार की नीतीश सरकार को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में रह रहे लड़कियों से जुड़ी रिपोर्ट एक सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि सरकार द्वारा संचालित मुजफ्फरपुर गर्ल्स शेल्टर होम केस में लड़कियों के साथ यौन शोषण होता था। जब शिकायत के आधार पर लड़कियों को मेडिकल हुआ तो लगभग 34 लड़कियों के साथ बलात्कर की पुष्टि हुई थी। जिसके बाद मामले की जांच सीबीआई के हाथ में सौंप दी गई। एजेंसी ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को गिरफ्तार किया और केस में संलिप्त रहने की आरोपी में सामाजिक कल्याण मंत्री रही मंजू वर्मा को नीतीश सरकरा ने पद से हटा दिया।