राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के छापों में हुर्रियत नेताओं को लिखे कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जो लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के लेटरहेड पर लिखे हुए हैं। दस्तावेजों से स्पष्ट है कि हुर्रियत नेता समय-समय पर लश्कर और हिज्बुल मुजाहिद्दीन अलगाववादियों को फंड पहुंचाते रहे हैं।
Hurriyat Leaders
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के छापों में हुर्रियत नेताओं को लिखे कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जो लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन के लेटरहेड पर लिखे हुए हैं। दस्तावेजों से स्पष्ट है कि हुर्रियत नेता समय-समय पर लश्कर और हिज्बुल मुजाहिद्दीन अलगाववादियों को फंड पहुंचाते रहे हैं। घाटी में सक्रिय लश्कर और हिज्बुल के स्थानीय कमांडर अपने बीमार साथियों के इलाज और अन्य कारणों से हुर्रियत अलगाववादियों से समय-समय पर हजार से लेकर लाखों रुपए तक की मांग करते हैं और कई बार मोबाइल फोन्स की भी मांग की जाती है। हुर्रियत के कई नेता घाटी में आतंक की फंडिंग के आरोप में एनआईए की कस्टडी में हैं, इन पर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन से आर्थिक मदद हासिल कर आतंक फैलाने का आरोप है।
5 हजार से अधिक पत्थरबाजों के हुर्रियत से संबंधः एनआईए
एनआईए ने हुर्रियत से पैसे लेने वाले पांच हजार से अधिक पत्थरबाजों की पहचान की है। इन पत्थरबाजों के हुर्रियत से पैसे लेने को साबित करना है। पाकिस्तान से चलाए जाने वाले व्हाट्सएप और अन्य मीडिया समूहों से लोगों को हिंसा के लिए भड़काया जाता है।
4 दिन में पैसे भेजें नहीं तो अंजाम भुगतें
एनआईए को मिला एक पत्र मोहम्मद अमीन भट्ट ने लिखा है। अमीन ने चिट्ठी लिख तहरीक-ए-हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी के करीबी अयान अकबर खांडे से 5 लाख रुपए की मांग की। जम्मू-कश्मीर हिज्बुल मुजाहिद्दीन के लेटरहेड पर लिखी इस चिट्ठी में लिखा था, ‘नोटबंदी के कारण आर्थिक संकट के हालात से निपटने के लिए तुरंत 5 लाख रुपयों की जरूरत है।’ इस चिट्ठी में बताया गया कि कैसे पुराने नोटों के सिस्टम से बाहर होने के कारण बाहर से मिलने वाली आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही है। इस चिट्ठी का अंत धमकी के साथ हुआ था। खांडे को धमकी दी गई थी कि 4 दिनों के अंदर पैसे भेज दें नहीं तो अंजाम के लिए तैयार रहें, जो परिवार तक जा सकता है। खांडे उन 7 अलगाववादियों में से एक है, जिन्हें सोमवार को एनआईए ने गिरफ्तार किया है।
पैसे नहीं मिले तो अंजाम के लिए होंगे खुद जिम्मेदार
नोटबंदी के बाद उर्दू में लिखे गए एक खत में भी कुछ ऐसी ही बातें हैं। हिज्बुल के मुहर लगे इस खत में लिखा था, ‘हमें इस समय पैसों की सख्त जरूरत है क्योंकि सुरक्षा और नोटबंदी के कारणों से हमें बाहर से पैसे नहीं मिल रहे हैं। 30 फरवरी को आपके पैसे लौटा दिए जाएंगे। इंशाअल्लाह हम 4 दिनों तक आपका इंतजार करेंगे। अगर आप कुछ नहीं करते तो अपने और अपने परिवार के अंजाम के आप खुद जिम्मेदार होंगे।’
मांगे थे मोबाइल फोन
एनआईए को एक और चिट्ठी मिली, जो हिज्बुल के लेटरहेड पर 17 मार्च, 2006 को शब्बीर शाह के सहायक नईम खान को लिखी गई थी। इस चिट्ठी के जरिए 7 से 10 हजार रुपए और एक मोबाइल फोन की मांग की गई थी।
एनआईए के रडार पर कश्मीर की 40 आतंकी दुकानें
आतंकी फंडिंग के मामले में 12 से अधिक संपत्तियों और 50 व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया समूहों की जांच एनआईए कर रही है। एक वरिष्ठ एनआईए अधिकारी ने बताया कि कश्मीर में शांति के लिए सीमा पार से विदेशी फंडिंग को खत्म कर दिया गया है। इस मामले की एनआईए और ईडी दोनों अलग-अलग जांच कर रहे हैं। मामले में 7 कश्मीरी अलगाववादी नेता 10 दिनों की न्यायिक हिरासत में हैं जबकि हुर्रियत के संस्थापक सदस्यों में से एक शब्बीर शाह 7 दिनों के लिए ईडी की कस्टडी में है।
100 व्यापारी आतंक को फंड देने के मामले में घिरे
आतंक को फंड देने के मामले में जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और दिल्ली के 100 से अधिक व्यापारी एनआईए की जांच के घेरे में हैं। ये व्यापारी निर्यात के बदले अधिक रकम की बिल बनाकर पैसे हासिल करते हैं। इसके बाद अधिक धन को कश्मीर में आतंक फैलाने वाले आतंकियों को पहुंचा देते हैं। इसी फंडिंग के दम पर 1990 के बाद से कश्मीर में आतंक का खेल खेला जा रहा है। आतंकी तत्वों और अलगाववादी नेताओं में लेन-देन होने के इलेक्ट्रानिक साक्ष्य भी मिले हैं।