scriptनिर्भया केसः फिर नई याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दोषी पवन गुप्ता, पेश किया स्कूल रजिस्टर | Nirbhaya Case: Convict Pawan Gupta moves Supreme Court with new petition | Patrika News

निर्भया केसः फिर नई याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दोषी पवन गुप्ता, पेश किया स्कूल रजिस्टर

locationनई दिल्लीPublished: Mar 18, 2020 08:38:38 am

दावा किया कि घटना के वक्त नाबालिग था, पुलिस ने छिपाई सच्चाई।
पहले भी अदालत में दायर कर चुका है नाबालिग होने की याचिका।
अदालत कई बार खारिज कर चुकी है चारों दोषियों की पेटिशन।

nirbhaya case convict pawan gupta

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नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप-मर्डर केस में चार दोषियों को फांसी होने में जब 100 घंटे से भी कम वक्त बचा है, तब मौत की सजा पाए एक दोषी पवन गुप्ता नया पैंतरा चला। उसने मंगलवार को फिर से नाबालिग होने का दावा करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अपने वकील एपी सिंह के माध्यम से दायर की गई दूसरी उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका में पवन ने कहा कि उसके स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र (एसएलसी) में नए सबूत सामने आए हैं, जो दावा करते हैं कि जब अपराध हुआ था, तब उसकी उम्र 16 साल थी।
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याचिका में कहा गया है, “नया सबूत स्कूल के रजिस्टर में सामना आया है। इसमें याचिकाकर्ता की जन्मतिथि आठ अक्टूबर 1996 बताई गई है। इसके अनुसार घटना के दिन उसकी उम्र 16 साल दो महीने और आठ दिन थी।”
याचिकाकर्ता की ओर से दलील में कहा गया कि नाबालिग होने के तथ्य दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर अदालत से छिपाए। ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी इस तथ्य को नजरअंदाज किया। ये सब मीडिया और जनता के दबाव में हुआ।
https://twitter.com/ANI/status/1239947252421914624?ref_src=twsrc%5Etfw
दरअसल 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा पाए पवन गुप्ता की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने दावा किया था कि 2012 में जब ये घटना हुई तब वह नाबालिग था। इसके बाद उसकी पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया था।
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न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा था कि याचिका में कोई आधार नहीं मिला है। इस मामले में पहले ट्रायल कोर्ट, फिर हाईकोर्ट और जुलाई 2018 में पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट फैसला दे चुका है। इसलिए बार-बार इस मामले में याचिका को अनुमति नहीं दी जा सकती।
वहीं, पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि पुलिस ने जनवरी 2013 में आयु परीक्षण प्रमाण पत्र लगाया था और उसके मां-पिता ने भी इसकी पुष्टि की थी। दोषी ने कभी भी इस पर विवाद नहीं किया। बार-बार दोषी को याचिका दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
https://twitter.com/ANI/status/1239941071720681474?ref_src=twsrc%5Etfw
निर्भया के दोषियों को 20 मार्च को फांसी दी जानी है। याचिका में दोषी को फांसी की सजा पर रोक लगाने की प्रार्थना की गई है।

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इस बीच वकील एपी सिंह ने मृतक दोषी राम सिंह की ओर से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया और जेल में राम सिंह की मौत के लिए उसके नाबालिग बेटे को मुआवजे प्रदान कराने की मांग की। याचिका में मृत्युदंड पाए चारों दोषियों की फांसी की सजा पर भी रोक लगाने की मांग की गई है।
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