अधिकारियों के खाली कमरे का होता था इस्तेमाल
पुलिस ने बताया कि ये लोग ओएनजीसी में नौकरी का झांसा देकर कृषि भवन में साक्षात्कार करवाते थे। इसलिए लोग इनकी बात पर भी भरोसा करते थे। इन लोगों ने शानदार तरीके से बंदोबस्त कर रखा था। ग्रामीण विकास मंत्रालय के चौथी श्रेणी के दो कर्मचारियों के साथ मिलीभगत थी। इंटरव्यू के लिए सरकारी अधिकारियों के कमरे का इस्तेमाल होता था। उच्च सुरक्षा वाले इस क्षेत्र में इंटरव्यू के लिए कमरे का जुगाड़ करते थे, जगदीश राज (58) और संदीप कुमार (31)। दोनों स्टाफ उस अधिकारी के खाली कमरे का बंदोबस्त करते थे, जो छुट्टी पर होता। कहा जा रहा है कि दोनों खुद को बोर्ड का मेंबर भी बताते थे।
पुलिस ने बताया कि ये लोग ओएनजीसी में नौकरी का झांसा देकर कृषि भवन में साक्षात्कार करवाते थे। इसलिए लोग इनकी बात पर भी भरोसा करते थे। इन लोगों ने शानदार तरीके से बंदोबस्त कर रखा था। ग्रामीण विकास मंत्रालय के चौथी श्रेणी के दो कर्मचारियों के साथ मिलीभगत थी। इंटरव्यू के लिए सरकारी अधिकारियों के कमरे का इस्तेमाल होता था। उच्च सुरक्षा वाले इस क्षेत्र में इंटरव्यू के लिए कमरे का जुगाड़ करते थे, जगदीश राज (58) और संदीप कुमार (31)। दोनों स्टाफ उस अधिकारी के खाली कमरे का बंदोबस्त करते थे, जो छुट्टी पर होता। कहा जा रहा है कि दोनों खुद को बोर्ड का मेंबर भी बताते थे।
नौकरी के लिए लेते थे 22 लाख
पकड़ा गया सात लोगों का गैंग नौकरी देने के नाम पर 22 लाख रुपए ठगता था। इस मामले का खुलास तब हुआ जब हाल ही में उन लोगों ने छात्रों के एक ग्रुप से 22 लाख रुपए ऐंठ लिए। जिसके बाद ओएनजीसी की तरफ से दो रिपोर्ट दर्ज कराई गई। रिपोर्ट में बताया गया कि, ” ओएनजीसी में असिस्टेंट इंजिनियर के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर उनलोगों को ठगा गया है। मामला क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया गया। पुलिस की जांच में ये बात सामने आई कि पीड़ितों को ओएनजीसी के आधिकारिक मेल से ईमेल आए और कृषि भवन में साक्षात्कार हुआ।
पकड़ा गया सात लोगों का गैंग नौकरी देने के नाम पर 22 लाख रुपए ठगता था। इस मामले का खुलास तब हुआ जब हाल ही में उन लोगों ने छात्रों के एक ग्रुप से 22 लाख रुपए ऐंठ लिए। जिसके बाद ओएनजीसी की तरफ से दो रिपोर्ट दर्ज कराई गई। रिपोर्ट में बताया गया कि, ” ओएनजीसी में असिस्टेंट इंजिनियर के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर उनलोगों को ठगा गया है। मामला क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया गया। पुलिस की जांच में ये बात सामने आई कि पीड़ितों को ओएनजीसी के आधिकारिक मेल से ईमेल आए और कृषि भवन में साक्षात्कार हुआ।
मास्टरमाइंट ने की ये गलती
पुलिस को दो महीने की गहन जांच के बाद कामयाबी हासिल हुई। कहा जा रहा है कि पिछले तीन साल से ओएनजीसी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का रैकेट चलाने वाला मास्टर माइंड किशोर कुणाल उर्फ रणधीर है। किशोर बेहद शातीर माना जाता है। उसने रवि चंद्रा से संपर्क किया, जो बेरोजगारों को तलाशता था। बता दें कि अभी रवि चंद्रा फरार चल रहा है। पुलिस ने गिरोह को पकड़ने के लिए आधुनिक सर्विलांस की मदद ली। कुणाल ने ओएलएक्स पर अकाउंट खोला जिससे उसके लक्ष्मी नगर स्थित कार्यालय का इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) मिल गया। इसकी सहायता से पुलिस ने उसके दफ्तर में उसे पकड़ लिया। जिसके बाद सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए। ये रैकेट पिछले तीन साल में 25-30 लोगों के साथ करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है।
पुलिस को दो महीने की गहन जांच के बाद कामयाबी हासिल हुई। कहा जा रहा है कि पिछले तीन साल से ओएनजीसी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का रैकेट चलाने वाला मास्टर माइंड किशोर कुणाल उर्फ रणधीर है। किशोर बेहद शातीर माना जाता है। उसने रवि चंद्रा से संपर्क किया, जो बेरोजगारों को तलाशता था। बता दें कि अभी रवि चंद्रा फरार चल रहा है। पुलिस ने गिरोह को पकड़ने के लिए आधुनिक सर्विलांस की मदद ली। कुणाल ने ओएलएक्स पर अकाउंट खोला जिससे उसके लक्ष्मी नगर स्थित कार्यालय का इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) मिल गया। इसकी सहायता से पुलिस ने उसके दफ्तर में उसे पकड़ लिया। जिसके बाद सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए। ये रैकेट पिछले तीन साल में 25-30 लोगों के साथ करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है।
ऐसे बनाया जाता था ONGC का फर्जी मेल जांच-पड़ताल में यह बात सामने आई कि आरोपी के पास ऐसा कम्प्यूटर सिस्टम था, जिससे कोई भी ईमेल आईडी से मेल भेजा जाएगा वह यही दिखाएगा कि ये मेल ओएनजीसी से भेजा गया है। वहीं जब भी गरोह नौकरी के लिए पीड़ितों को फोन करते थे मोबाइल नंबर पर कॉल किया जाता था तो उस ओएनजीसी की तरफ से कॉल लिखा आता था। वैसे एक बात समझ से परे हैं कि जो लोग कृषि भवन में इंटरव्यू के लिए जाते थे उनके मन में कभी सवाल नहीं आए कि ओनजीसी के लिए इंटरव्यू हो रहे हैं तो कृषि मंत्राल के कृषि भवन में इंटरव्यू क्यों लिए जा रहे हैं।