script

ओएनजीसी में नौकरी दिलाने वाले बड़े गिरोह का भंडाफोड़, कृषि भवन में होता था इंटरव्यू

locationनई दिल्लीPublished: Sep 19, 2018 12:14:44 pm

Submitted by:

Saif Ur Rehman

मोटी रकम लेकर गिरोह ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) में नौकरी दिलाने का दावा करता था।

fake

पुलिस

नई दिल्ली। ‘ठग्स इन लुटियंस’ का पर्दाफाश। जी हां पुलिस ने ऐसे फर्जी जॉब रैकेट का भंडाफोड़ किया है जो पैसों की एवज में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) में नौकरी दिलाने का दावा करता था। हैरत की बात ये है कि यह रैकेट पॉश इलाके लुटियंस जोन्स में चल रहा था। जहां संसद, केंद्रीय मंत्रालय और वीआईपी आवास हैं। गिरोह कृषि मंत्रालय के कृषि भवन में लोगों का इंटरव्यू करवाता, बाकायदा कमरे में बैठकर ओएनजीसी के नाम पर इंटरव्यू लिए जाते। ठगी करने के आरोप में पुलिस ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के दो कर्मचारियों सहित कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है। सभी लोग पढ़े-लिखे हैं। गिरफ्तार हुए लोगों में इंजिनियर, ग्राफिक्स डिजाइनर, इवेंट मैनेजर शामिल है। आरोपियों की पहचान किशोर कुणाल/ रंधीर सिंह (32), वसीम (28), अंकित गुप्ता (32), विशाल गोयल (27), सुमन सौरभ (32), जगदीश राज (58), संदीप कुमार (31) को गिरफ्तार किया है। अन्य मुख्य आरोपी रवि चंद्रा की तलाश जारी है। आरोपियों के पास से पुलिस ने 27 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 10 चेकबुक, फर्जी आईडी कार्ड्स और 45 सिम कार्ड्स बरामद किए हैं।
fake
अधिकारियों के खाली कमरे का होता था इस्तेमाल
पुलिस ने बताया कि ये लोग ओएनजीसी में नौकरी का झांसा देकर कृषि भवन में साक्षात्कार करवाते थे। इसलिए लोग इनकी बात पर भी भरोसा करते थे। इन लोगों ने शानदार तरीके से बंदोबस्त कर रखा था। ग्रामीण विकास मंत्रालय के चौथी श्रेणी के दो कर्मचारियों के साथ मिलीभगत थी। इंटरव्यू के लिए सरकारी अधिकारियों के कमरे का इस्तेमाल होता था। उच्च सुरक्षा वाले इस क्षेत्र में इंटरव्यू के लिए कमरे का जुगाड़ करते थे, जगदीश राज (58) और संदीप कुमार (31)। दोनों स्टाफ उस अधिकारी के खाली कमरे का बंदोबस्त करते थे, जो छुट्टी पर होता। कहा जा रहा है कि दोनों खुद को बोर्ड का मेंबर भी बताते थे।
police
नौकरी के लिए लेते थे 22 लाख
पकड़ा गया सात लोगों का गैंग नौकरी देने के नाम पर 22 लाख रुपए ठगता था। इस मामले का खुलास तब हुआ जब हाल ही में उन लोगों ने छात्रों के एक ग्रुप से 22 लाख रुपए ऐंठ लिए। जिसके बाद ओएनजीसी की तरफ से दो रिपोर्ट दर्ज कराई गई। रिपोर्ट में बताया गया कि, ” ओएनजीसी में असिस्टेंट इंजिनियर के पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर उनलोगों को ठगा गया है। मामला क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर किया गया। पुलिस की जांच में ये बात सामने आई कि पीड़ितों को ओएनजीसी के आधिकारिक मेल से ईमेल आए और कृषि भवन में साक्षात्कार हुआ।
fake
मास्टरमाइंट ने की ये गलती
पुलिस को दो महीने की गहन जांच के बाद कामयाबी हासिल हुई। कहा जा रहा है कि पिछले तीन साल से ओएनजीसी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का रैकेट चलाने वाला मास्टर माइंड किशोर कुणाल उर्फ रणधीर है। किशोर बेहद शातीर माना जाता है। उसने रवि चंद्रा से संपर्क किया, जो बेरोजगारों को तलाशता था। बता दें कि अभी रवि चंद्रा फरार चल रहा है। पुलिस ने गिरोह को पकड़ने के लिए आधुनिक सर्विलांस की मदद ली। कुणाल ने ओएलएक्स पर अकाउंट खोला जिससे उसके लक्ष्मी नगर स्थित कार्यालय का इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) मिल गया। इसकी सहायता से पुलिस ने उसके दफ्तर में उसे पकड़ लिया। जिसके बाद सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए। ये रैकेट पिछले तीन साल में 25-30 लोगों के साथ करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है।
ऐसे बनाया जाता था ONGC का फर्जी मेल

जांच-पड़ताल में यह बात सामने आई कि आरोपी के पास ऐसा कम्प्यूटर सिस्टम था, जिससे कोई भी ईमेल आईडी से मेल भेजा जाएगा वह यही दिखाएगा कि ये मेल ओएनजीसी से भेजा गया है। वहीं जब भी गरोह नौकरी के लिए पीड़ितों को फोन करते थे मोबाइल नंबर पर कॉल किया जाता था तो उस ओएनजीसी की तरफ से कॉल लिखा आता था। वैसे एक बात समझ से परे हैं कि जो लोग कृषि भवन में इंटरव्यू के लिए जाते थे उनके मन में कभी सवाल नहीं आए कि ओनजीसी के लिए इंटरव्यू हो रहे हैं तो कृषि मंत्राल के कृषि भवन में इंटरव्यू क्यों लिए जा रहे हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो