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ये खबर सिर्फ नए शादीशुदा कपल ही पढ़ें

कौन कहता है शादी फूलों की सेज है? इसे बनाए रखने के लिए बहुत मेहनत करनी
पड़ती है विशेषकर पहला साल बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। शादी के शुरुआती पहले
साल पर आपकी शादीशुदा जिंदगी की नींव रखी होती है। शादी के पहले साल में
कैसे सरवाईव किया जाए, जानिए कुछ खास तरीके…

Dec 12, 2015 / 02:11 pm

sangita chaturvedi


कौन कहता है शादी फूलों की सेज है? इसे बनाए रखने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है विशेषकर पहला साल बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। शादी के शुरुआती पहले साल पर आपकी शादीशुदा जिंदगी की नींव रखी होती है। शादी के पहले साल में कैसे सरवाईव किया जाए, जानिए कुछ खास तरीके…

सभी चाहते हैं एक परिकथा सी शादी। मनपसंद खूबसूरत कपड़े, मेकअप, लेन-देन, मेहमान नवाजी, सिटिंग अरेंजमेंट, डेकोरेशन, खाने की व्यवस्था और ढेर सारी चीजें हमारी प्राथमिकताओं में होती हैं जिनकी वजह से हम अपने होने वाले जीवनसाथी और उसके साथ के बारे में सोच तक नहीं पाते। लेकिन जब हनीमून का दौर खत्म हो जाता है तब जिंदगी सच्चे रूप में सामने आती है। भले ही आप एकदूसरे के साथ कोर्टशिप में रह चुके हों। शादी का पहला साल दोनों के लिए बहुत से नए आश्चर्यों से भरपूर होता है।


पहला कदम उठाएं

शादी के बाद पहला साल हरेक के लिए बहुत अहम होता है, बिलकुल आपकी किसी नई जॉब के पहले महीने की तरह। जहां आप अपनी जॉब से सीखते हैं, सहयोगियों को जानने की कोशिश करते हैं और उनसे जुडऩे की कोशिश में होते हैं। मैरिज काउंसलर शिखा कहती हैं, शादी जिंदगी के नए रास्ते पर एक सफर की शुरुआत है और एकदूसरे के प्रति अनुकूलन की कोशिश करते हैं एकदूसरे को स्वीकार करने की कोशिश होती है ये। कोई नया व्यक्ति जीवन में आया है जो आपके साथ और आप उसके साथ एडजस्ट की कोशिश में होता है। आशी और अरुण की सालभर पहले लव मैरिज हुई है। आशी बताती हैं, हालांकि हम दोनों एकदूसरे को पहले से डेट कर रहे थे लेकिन फिर भी शादी के बाद मेरा पहला साल बहुत कम्फर्टेबल नहीं रहा। एकदम से किसी नई जगह और नए लोगों के बीच जाकर रहना आसान नहीं होता। लेकिन इसके साथ ही ये एक्साइटिंग भी है। मैंने अरुण की वह बातें भी जानी जिनसे मैं अनजान थी जैसे उनकी इटिंग हैबिट्स, उनका खुलापन, जिम्मेदारियां उठाने का तौर-तरीका आदि।


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संवाद जरूरी है
साइकोथेरेपिस्ट और काउंसलर शेफाली कहती हैं, एक सफल शादी का सबसे अहम पहलू है संवाद। महिला और पुरुष दोनों ही अलग तरीकों से कम्युनिकेट करते हैं। हो सकता है वह पति/पत्नी एकदूसरे को शुरुआत में समझे ही ना हों। अच्छी शादी वही है जो दोनों पक्षों को अपने विचारों, भावनाओं और जरूरतों को एक्सचेंज करने का मौका दें। पार्टनर ही केवल आपकी खुशी का एकमात्र स्रोत नहीं है लेकिन उसका सपोर्ट जरूर आपके लिए खुशी ला सकता है। इसमें संवाद ही एक जरिया हो सकता है।

शादी से पहले काउंसलिंग होनी चाहिए

शेफाली कहती हैं, प्री-मैरिज काउंसलिंग जरूरी है। आज की जनरेशन को इसकी बहुत आवश्यकता है ताकि पार्टनर एकदूसरे को समझ सकें। ऐसा होना अनिवार्य होना चाहिए। आज होने वाली करीब 95 फीसदी शादियां मुश्किलातों से गुजर रही हैं क्योंकि कपल्स नहीं समझ पा रहे हैं कि मैरिड लाइफ से उनकी उम्मीदें क्या हैं। शादी में संपन्न की जाने वाली फालतू रस्मों की बजाय मैरिज काउंसलिंग को इसका हिस्सा बनाया जाने की जरूरत है। प्री-मैरिज काउंसलिंग उन्हें शादीशुदा जिंदगी की वास्तविकताओं से रूबरू कराती है और उनसे पार पाने की समझ भी देती है।



खुद की तलाश
शादी के पहले वर्ष में सभी पार्टनर की आदतों, पसंद और नापसंद जानने की कोशिश में होते हैं, उस समय आप ऐसी कई बातों से भी रूबरू होते हैं जिनकी आपको जानकारी नहीं थी। अनुज की शादी सात महीने पहले हुई है, वे कहते हैं, अपने बारे में मैं ये नहीं जानता था कि मैं अपने सिवा किसी और लोगों की देखभाल में सक्षम हूं। मैं वही करता जिससे उसे खुशी हो। जबकि मनस्वी की स्थिति इससे उलट है, शादी से पहले वह बहुत जल्दी हाइपर हो जाती थी। लेकिन शादी के बाद उसकी इस स्थिति में सुधार आया है अब वो दूसरों को समझने की कोशिश करती हैं और खुद को कूल रख पाती हैं।


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संघर्षपूर्ण स्थिति का सामना करें
अरुण कहते हैं, मेरी शादीशुदा जिंदगी में होने वाले झगड़ों के बारे में मैं अपनी पत्नी के साथ खुलकर बात करता हूं। मैं तुरंत उससे इस बात पर डिस्कशन करता हूं, ताकि अगले दिन पुरानी बातें हमारा वक्त और मूड खराब ना कर सकें। हम छोटी-छोटी बातों पर मूड खराब नहीं करते। कभी-कभी ऐसा होता है जब बात ज्यादा बढ़ जाती है तो हम चुप्पी साध लेते हैं। आप दोनों को संतुलन बनाकर चलना होता है। अगर दोनों में से किसी एक का गुस्सा तेज है तो? ऐसे में क्या करें। इस पर शेफाली कहती हैं, तेज गुस्से वाले पार्टनर चाहे वह पति हो या पत्नी, उनके व्यवहार पर उन्हें बताएं कि उनका व्यवहार आपको पसंद नहीं है। सबसे पहले कोशिश करें और समझें कि आखिर उनके गुस्से की वजह क्या है। इसके बाद उन पर सीधे ये कमेंट (हर समय ही तुम्हारी नाक पर गुस्सा रखा ही रहता है) करने की बजाय उन्हें ये समझाने की कोशिश करें कि उनके गुस्से से आप हर्ट हुए हैं और सबसे आखिर में उनके साथ बैठकर उनकी नाराजगी पर विचार करें एकांत में। एकदूसरे की पसंद-नापसंद को ध्यान में रखें। आप उन्हें सहारा देंगे तभी आपको भी उनसे सपोर्ट मिलेगा। अपने पार्टनर के व्यक्तित्व के दूसरे पहलुओं को भी स्वीकार करें।

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बहुत उम्मीदें ना पालें
अपने पार्टनर के लिए जो कुछ भी आप करते हैं उसके प्रतिफल की आशा ना करें। दूसरे से कोई उम्मीदें ना रखें। ये जरूर होना चाहिए कि जो कुछ आप कहना चाह रहे हैं वह उसे समझ पा रहा है।

जज ना करें

अपने पार्टनर को उसके परिवार के लोगों के आधार पर जज ना करें। हर व्यक्ति दूसरे से अलग होता है। अपने रिश्ते और प्यार और आप दोनों से जुड़ी चीजों पर सवाल जरूर किए जा सकते हैं।

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तुलना ना करें

अपने पार्टनर की तुलना किसी दूसरे से ना करें। ये आपके आपसी संबंध खराब कर सकती है।

खराब कमेंट्स ना करें

किसी भी बात को लेकर अपने पार्टनर पर कमेंट करना शुरू ना कर दें। इससे एकदूसरे के प्रति नाराजगी बढ़ती है और रिश्ते पर असर होता है।

गोल्डन वर्ड्स याद रखें

सॉरी बोलने में हिचकें नहीं। थैंक्यू कहना जरूरी है। जो भी कहें वह दिल से हो।

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