2016 के एक मामले की सुनवाई के दौरान आई कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की बेंच ने ये टिप्पणी साल 2016 के एक मामले की सुनवाई के दौरान की। 2016 के मामले में एक चर्च के फादर ने नाबालिग लड़की के साथ रेप किया। एक साल के बाद लड़की ने एक बच्चे को भी जन्म दिया। ये घटना केरल के मालाबार जिले की है। इस मामले में रेप के आरोपी पादरी का दोस्त जो चाइल्ड वेलफ़ेयर कमिटी का सदस्य था खुद भी एक पादरी है वो आरोप को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट आये थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट में आरोपी उन्हें आरोप मुकत करने की मांग को लेकर आए थे।
चर्च में प्रार्थना के दौरान नाबालिग के साथ हुआ था रेप
फिलाहल ये केस केरल की निचली अदालत में चल रहा है। पुलिस ने चर्च के पादरी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली है। जानकारी के मुताबिक, एक महिला ने कुछ दिनों पहले आरोप लगाया था कि जब वह कोट्टायम जिला में स्थित मलंकारा ऑर्थोडक्स चर्च में कन्फेशन के लिए गई, तो इन पादरियों ने उसे ब्लैकमैल करते हुए उसका यौन शौषण किया। इस मामले के सुर्खियों में आने के बाद केरल पुलिस ने घटना की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी थी। पुलिस के सामने दर्ज शिकायत में महिला ने इन आरोपों की तस्दीक की थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। इससे पहले पादरी ने मामले में गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए इसकी सुनवाई तुरंत करने का अनुरोध किया था।
केरल हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी पादरी की याचिका
अपराध शाखा ने मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च से ही जुड़ी एक महिला की शिकायत के आधार पर दो जुलाई को पादरी वर्गीस सहित 4 पादरियों के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज किया था। बता दें कि केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में वर्गीस की याचिका खारिज कर उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा था।