अजमेर

बेटे के लिए चार साल से बह रह आंसुओं का सैलाब

दरगाह पीर रोड से लापता इकलौती औलाद आमिर का चार साल बाद भी नहीं लगा सुराग, सोशल मीडिया, समाचार पत्रों व न्यूज चैनल में तलाश रहे मां-बाप

अजमेरJul 16, 2021 / 02:27 am

manish Singh

बेटे के लिए चार साल से बह रह आंसुओं का सैलाब

मनीष कुमार सिंह
अजमेर.

. . .मां के दिल को विश्वास है कि जहां दुनिया भर के लोग सजदा कर मन्नत मांगने और उतारने आते हैं उसी दर पर चार साल पहले बिछड़ा उसका लाल भी वापस लौटेगा। बेटे आमिर के लापता होने के बााद उसकी मां ने अपने जिगर के टुकड़े की तलाश में ऐसा कोई पीर-फकीर का दर नहीं छोड़ा जहां उसे नहीं तलाशा और मन्नत ना मांगी हो।
दरगाह बड़ा पीर रोड पर रहने वाले मोहम्मद आईनूर व अनारकली के घर कोई अनजान व्यक्ति आए या फोन कॉल उनके दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। उनके होशोहवास चार साल पहले बिछड़े आमिर अली के मिलने की सूचना सुनने को बेताब रहते हैं।
आसमां से आई रौनक, तो आमिर से बहार
नम आंखों से अनारकली ने बताया कि निकाह के सात साल तक उसकी गोद नहीं भरी। उन्होंने बड़ी बेटी आसमां को गोद लिया। आसमां के घर में आने से रौनक आई तो एक साल बाद आमिर अली के रूप में बहार आ गई। आमिर के बाद आलिया हुई। सबकुछ ठीक चल रहा था।
फिर टूटा पहाड़. .
लेकिन अचानक 20 अक्टूबर 2017 को दुकान पर चॉकलेट लेने निकला आमिर देर शाम तक नहीं लौटा। काफी तलाश के बाद दरगाह थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दी। चाइल्ड लाइन, अनाथालय, आश्रम, देशभर में पीर की दरगाह पर सजदा कर तलाशा लेकिन आमिर का सुराग नहीं लगा।
4 बहनों का इकलौता भाई

मोहम्मद आईनूर ने बताया कि बड़ी बेटी आसमां के गोद लेने के बाद बेटा आमिर हुआ। उसके बाद आलिया, आसिया हुई। बेटे की आस में सबसे छोटी बेटी सूफिया भी हुई लेकिन पत्नी अनारकली का बेटे का दु:ख कम नहीं हुआ। वह जब-तब खानाबदोश या बच्चों के पकड़े जाने या समाचार पत्र में खबर देख बिना कुछ सोचे बच्चों की भीड़ में बेटे की तलाश के लिए निकल जाती है।
सोशल मीडिया पर दिखी थी झलक!

आईनूर व अनारकली ने दावा किया कि बेटे के लापता होने के ठीक एक साल बाद फेसबुक पर एक तस्वीर नजर आई। जो उसके बेटे की थी। उनकी सूचना पर मानव तस्करी निरोधी शाखा व दरगाह थाना पुलिस सक्रिय हुई लेकिन पुलिस की पड़ताल में अकाउंट फेक नाम से होना पता चला। हालांकि कुछ दिन बाद पोस्ट हटा दी गई। उनका दावा है कि एफबी की फोटो बेटे आमिर अली की ही थी। लेकिन अब उस वाकये को भी तीन साल से ज्यादा हो चुके हैं।
तलाशती रहती हैं निगाहें

अनारकली ने बताया कि गुजरात में 135 बच्चों के दस्तयाब करने की कार्रवाई की जब उसे सूचना मिली तो फिर से उम्मीद जगी। उसमें राजस्थान के बच्चों की संख्या ज्यादा थी। उसने मानव तस्करी निरोधी शाखा व चाइल्ड लाइन के जरिए सम्पर्क किया लेकिन मायूसी हाथ लगी।
बायोमैट्रिक है उम्मीद. . .

अनारकली की उम्मीद अब बनाए गए भामाशाह कार्ड के बायो मैट्रिक से है। उसका कहना है कि आमिर के बड़ा होने और भामाशाह कार्ड बनवाने के लिए बायोमैट्रिक का इस्तेमाल करेगा तो उसकी अंगुलियों के निशान सामने आ जाएंगे। तब ही उसका पचा चल सकता है।
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