scriptतीन शिक्षकों को रेप के आरोप में काटनी पड़ी 3 वर्ष जेल की सजा, अब साबित हुए निर्दोष | Three teachers were sentenced to 3 years imprisonment for rape, now proved innocent | Patrika News

तीन शिक्षकों को रेप के आरोप में काटनी पड़ी 3 वर्ष जेल की सजा, अब साबित हुए निर्दोष

locationनई दिल्लीPublished: Jan 24, 2019 07:04:28 pm

Submitted by:

Anil Kumar

मुंबई में तीन शिक्षकों पर एक नाबिलग लड़की के साथ रेप के आरोप में तीन वर्ष की सजा हुई थी लेकिन अब कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है।

तीन शिक्षकों को रेप के आरोप में काटनी पड़ी 3 वर्ष जेल की सजा, अब साबित हुए निर्दोष

तीन शिक्षकों को रेप के आरोप में काटनी पड़ी 3 वर्ष जेल की सजा, अब साबित हुए निर्दोष

मुंबई। रेप करना एक घिनौना और जघन्य अपराध है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति किसी को रेप के झूठे आरोपों में फंसा दे और उसे वर्षों की सजा हो जाए तो उसे क्या कहेंगे। कहा जाता है कि सौ गुनहगार छूट जाए लेकिन किसी एक निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए। पर मुंबई में इसके ठीक उलट एक मामला प्रकाश में आया है। दरअसल मुंबई के एक नामी स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ने वाली एक नाबालिक मासूम बच्ची के साथ कथित तौर पर रेप का आरोप तीन शिक्षकों पर लगा था। इस आरोप के कारण तीनों शिक्षकों और उनकी एक महिला सहयोगी को तीन वर्ष तक जेल की सजा काटनी पड़ी। हालांकि तीन वर्ष बाद अदालत ने इस मामले में यह कहते हुए सभी को बरी कर दिया कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है।

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2015 का है यह मामला

आपको बता दें कि पुलिस ने बताया है कि यह मामला 22 नवंबर 2015 का है। उस दिन चौथी कक्षा में पढ़ने वाली 9 वर्षीय मासूम बच्ची का मां ने मीरा रोड पुलिस स्टेशन में तीन शिक्षकों संजय पाटिल (46), नीलेश भोइर (23), जितेन्द्र जाधव (27) समेत एक महिला उषा टूपे के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों शिक्षकों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। साथ ही स्कूल की एक महिला अटेंडेंट पर आरोप लगाया कि वह बच्ची को लेकर दूसरे फ्लोर पर जाती थी और शिक्षकों के हवाले कर देती थी। महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि उसकी बच्ची से एक वर्ष तक रेप किया गया। पुलिस ने यह भी बताया कि चारों की गिरफ्तार के बाद स्कूल प्रशासन ने सभी को सस्पेंड कर दिया और पैरेंट्स के विरोध-प्रदर्शन के बाद प्रिंसिपल को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद से प्रशासन ने किसी भी पुरुष शिक्षक की भर्ती पर रोक लगा दिया।

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बदनाम करने के लिए रची गई थी साजिश

बता दें कि केस की सुनवाई करते हुए जिला जज पी.पी.जाधव ने चारों आरोपियों को रेप और पॉक्सो केस से बरी कर दिया। बचाव के पक्ष में अपनी दलील पेश करने वाले वकील ने बताया कि पीड़ित बच्ची और उसकी मां को इन-कैमरा ट्रायल के दौरान क्रॉस एग्जामिन किया गया। साथ ही इससे पहले मेडिकल रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो गई थी कि बच्ची के साथ कोई रेप नहीं हुआ है। इसके अलावा स्कूल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों में भी इस तरह की कोई फुटेज नहीं मिला जिससे यह प्रमाणित होता हो कि बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न किया गया। उन्होंने बताया कि यह पूरी साजिश विरोधी शैक्षिक संस्थानों ने स्कूल को बदनाम करने के लिए रची थी। अब इस मामले में पीड़ित शिक्षकों और स्कूल प्रशासन मानहानि केस करने की तैयारी कर रहे हैं।


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