नक्सलबाड़ी इलाके की घटना
यह छिपकली ‘गीको’ या ‘टोको’ के नाम से जाना जाता है। ज्यादातर इसका उपयोग मर्दानगी बढ़ाने वाली दवाओं के निर्माण में किया जाता है। जानकारी के अनुसार एसएसबी के सहायक कमांडेंट राजीव राणा के नेतृत्व वाली टीम ने बुधवार शाम को नक्सलबाड़ी और पानीटंकी के बीच इस कार्रवाई को अंजाम दिया। और बरामद की गई छिपकलियों को वन विभाग को सौंप दिया। साथ ही आरोपियों से मामले में पूछताछ करके उन्हें नक्सलबाड़ी पुलिस के हवाले कर दिया।
करोड़ों में है विदेशी बाजारों में इसकी कीमतें
आपको बता दें विदेशी बाजारों में इस प्रजाति की एक छिपकली दो-दो करोड़ रुपये तक बेची जाती है। ऐसी छिपकलियां दक्षिण-पूर्व एशिया, बिहार, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पूर्वोत्तर भारत, फिलीपींस तथा नेपाल के बाजारों में बेची जाती हैं। बड़े पैमाने पर जंगलों के कटाव के कारन अब ये प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर है। इसलिए ही इनके मांगों और कीमतों में वृद्धि होती जा रही है। बुधवार को जिन छिपकलियों को उन दो तस्करों से बरामद किया गया उनकी कीमते विदेशी बाजार में 2.5 करोड़ से अधिक बताई जा रही है।
इसके उपयोग से कई गंभीर बीमारियों से मिलती है निजात
‘गीको’ के मांस से नपुंसकता, डायबिटीज, एड्स और कैंसर से लड़ने की दवाइयां बनाई जाती हैं। मर्दानगी बढ़ाने वाली कई दवाइयों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में इसकी मांग ज्यादा है। इसके अलावा चीन में भी परंपरागत दवाइयों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।