उदयपुर . शहर के देहलीगेट चौराहे पर स्कूटर सवार बुजुर्ग को टक्कर मारकर भागे रईसजादे की गाड़ी व दुर्घटना का पूरा घटनाक्रम वहां लगे सरकारी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। पुलिस ने इसकी सीडी में रिकॉर्डिंग भी ले ली, लेकिन बाद में उसे बचाने के लिए खूब झूठ बोले मगर सूचना का अधिकार कानून में मांगी जानकारी में सच सामने
आ गया।
पीडि़त न्यू भूपालपुरा निवासी नरेन्द्र कुमार के पुत्र जयवंत भेरविया ने जब घटनाक्रम की सीडी उपलब्ध करवाने व मामले में कार्रवाई के संबंध में आरटीआई में सूचना मांगी तो पुलिस ने पहले टालमटोल की लेकिन इसकी अपील राज्य सूचना आयोग तक पहुंची तो पुलिस ने 6 माह के बाद दुर्घटना का मामला दर्ज कर पीडि़त का मेडिकल करवाया।
आ गया।
पीडि़त न्यू भूपालपुरा निवासी नरेन्द्र कुमार के पुत्र जयवंत भेरविया ने जब घटनाक्रम की सीडी उपलब्ध करवाने व मामले में कार्रवाई के संबंध में आरटीआई में सूचना मांगी तो पुलिस ने पहले टालमटोल की लेकिन इसकी अपील राज्य सूचना आयोग तक पहुंची तो पुलिस ने 6 माह के बाद दुर्घटना का मामला दर्ज कर पीडि़त का मेडिकल करवाया।
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इधर, राज्य आयोग के आयुक्त आशुतोष शर्मा ने अपील को आंशिक स्वीकार कर पुलिस को आदेश दिया कि वह दुर्घटना की सीडी व कार्रवाई की प्रति परिवादी को 21 दिन में नि:शुल्क उपलब्ध कराएं। सिविल इंजीनियर जयवंत भेरविया ने बताया कि 15 दिसम्बर 2015 को शाम सात बजे देहलीगेट चौराहे पर एक कार चालक ने प्रार्थी के पिता नरेन्द्र कुमार को टक्कर मार दी। दुर्घटना के बाद चालक तेज गति से वाहन भगाकर ले गया। हादसे में पिता के चोट आई, परिजनों ने उपचार के साथ भूपालपुरा थाना पुलिस को रिपोर्ट देते हुए कहा कि पूरा हादसा वहां लगे सीसीटीवी फुटेज में कैद है। पुलिस ने निरीक्षण कर फुटेज भी देखे। संचालक से पेन ड्राइव में भी ले लिए लेकिन कार्रवाई नहीं की। परिवादी ने दो माह बाद भूपालपुरा थाना पुलिस से मामले में कार्रवाई की आरटीआई से जानकारी मांगी तो पुलिस ने जवाब नहीं दिया।
इधर, राज्य आयोग के आयुक्त आशुतोष शर्मा ने अपील को आंशिक स्वीकार कर पुलिस को आदेश दिया कि वह दुर्घटना की सीडी व कार्रवाई की प्रति परिवादी को 21 दिन में नि:शुल्क उपलब्ध कराएं। सिविल इंजीनियर जयवंत भेरविया ने बताया कि 15 दिसम्बर 2015 को शाम सात बजे देहलीगेट चौराहे पर एक कार चालक ने प्रार्थी के पिता नरेन्द्र कुमार को टक्कर मार दी। दुर्घटना के बाद चालक तेज गति से वाहन भगाकर ले गया। हादसे में पिता के चोट आई, परिजनों ने उपचार के साथ भूपालपुरा थाना पुलिस को रिपोर्ट देते हुए कहा कि पूरा हादसा वहां लगे सीसीटीवी फुटेज में कैद है। पुलिस ने निरीक्षण कर फुटेज भी देखे। संचालक से पेन ड्राइव में भी ले लिए लेकिन कार्रवाई नहीं की। परिवादी ने दो माह बाद भूपालपुरा थाना पुलिस से मामले में कार्रवाई की आरटीआई से जानकारी मांगी तो पुलिस ने जवाब नहीं दिया।
झूठ पर झूठ, ऐसे दिए जवाब – कैमरे की रिकॉर्डिंग महज 16 दिन तक रहती है, अब फु टेज उपलब्ध करवाना संभव नहीं है पुलिस ने बकायदा तहरीर देकर संचालक से फु टेज पेन ड्राइव में लिए। फुटेज में गाड़ी दिख रही है। रिकॉर्डिंग 15 दिन के अंतराल में ही मांगी गई, फिर भी गलत जवाब देकर चालक का बचाव किया गया।
– देहलीगेट पर व्यक्तिगत कैमरे लगे है, रिकॉर्डिंग उपलब्ध करवाना संभव नहीं है जबकि परिवादी ने आरटीआई में टेण्डर की कॉपी ली तो देहलीगेट पर सरकारी कैमरे लगे होने की पुष्टि हुई।
– तीसरे जवाब में कहा कि मामले में जांच जारी है, इस कारण फुटेज नहीं
दे सकते हैं।