सुप्रीम कोर्ट के सामने यूपी पुलिस ( up police ) ने विस्तृत जवाब दाखिल करने के दौरान दावा किया कि यह सभी मुठभेड़ सही थीं, फर्जी नहीं। इन्हें फर्जी नहीं कहा जा सकता है। अब सर्वोच्च न्यायालय आगामी 20 जुलाई को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा।
यूपी पुलिस के महानिदेशक द्वारा दाखिल हलफनामें में कहा गया कि विकास के मामले की तुलना तेलंगाना एनकाउंटर ( Telangana encounter ) से नहीं की जा सकती। जहां तेलंगाना ने उस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग ( judicial commission of inquiry ) का आदेश नहीं दिया, उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका आदेश दिया। प्रदेश ने नियमों और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन किया है। इस मामले से जुड़े बाकी तथ्य वक्त दिए जाने पर दाखिल कर दिए जाएंगे।
यूपी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दिए ये तर्कः इससे पहले बीते 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वह दुबे और अन्य की मुठभेड़ को लेकर जांच के लिए एक समिति नियुक्त कर सकती है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने तीन न्यायाधीशों की पीठ की अगुवाई करते हुए कहा था, “हम आपको बताएंगे कि हम क्या करने जा रहे हैं। यह कुछ ऐसा है जो हम हैदराबाद मामले में पहले ही कर चुके हैं।” इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था।
गौरतलब है कि बीते 2-3 जुलाई की रात कानपुर के बिकरू गांव( Bikaru Village ) में हिस्टी-शीटर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस पर हुए हमले में एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इस घटना के कुछ घंटों बाद ही पुलिस मुठभेड़ में विकास के दो साथी ढेर कर दिए गए थे।
पुलिसकर्मियों को मारने के बाद विकास दुबे फरार हो चुका था, जबकि पुलिस उसको पकड़ने के लिए लगी हुई थी। इस बीच कई लोगों को पकड़ने-ढेर करने के बाद बीते नौ जुलाई को विकास के दो साथी इटावा और कानपुर में पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो गए। इन्हेें मिलाकर पुलिस ने कम से कम पांच साथियों को ढेर कर दिया था जबकि आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।
इसके बाद 10 जुलाई को सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के बाहर से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इस दिन शाम को मध्य प्रदेश पुलिस ने दुबे को यूपी पुलिस को सौंप दिया जबकि उसकी पत्नी, बेटे समेत एक नौकर को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद विकास दुबे को कानपुर ले जाते वक्त शहर की बाहरी सीमा स्थित भौंती में पुलिस की गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई, जिसमें विकास दुबे पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश करता है। इस दौरान पुलिस द्वारा उसका एनकाउंटर कर दिया जाता है।
इसके बाद पुलिस के इस एनकाउंटर पर कई सवाल खड़े किए जाते हैं और मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन कर दिया गया। वहीं, पुलिसकर्मियों की हत्या के 11 आरोपी अभी भी पुलिस गिरफ्त से बाहर बताए जा रहे हैं।