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क्या है मालेगांव ब्लास्ट जानिए केस की मुख्य पांच बातें

locationनई दिल्लीPublished: Aug 21, 2017 12:40:00 pm

Submitted by:

Ravi Gupta

जानिए क्या है मालेगांव ब्लास्ट व उससे संबंधित सभी मुख्य बातें।

shrikant purohit

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साल 2008 में हुआ मालेगांव ब्लास्ट
नई दिल्ली। 29 सितंबर, 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में ब्लास्ट हुआ था। इस ब्लास्ट में 6 लोग मारे गए थे। जबकि 100 से ज्यादा लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे। यह विस्फोट एक बाइक में बम लगाकर हुआ था। इस ब्लास्ट में 14 आरोपियों का नाम सामने आया था। ब्लास्ट के लिए आरडीएक्‍स देने और साजिश रचने के आरोप में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल प्रसाद पुरोहित को गिरफ्तार कर लिया गया था। साध्वी प्रज्ञा पर भोपाल, फरीदाबाद की बैठक में धमाके की साजिश रचने के आरोप लगे थे। साध्वी और पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया था।
सुप्रीम कोर्ट दी अंतरिम जमानत
2008 मालेगांव ब्लास्ट केस में सुप्रीम कोर्ट आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित को अंतरिम जमानत दे दी है। 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट में कर्नल पुरोहित के वकील हरीश साल्वे तर्क दिया कि न्याय के हित में पुरोहित को जमानत मिलनी चाहिए। साल्वे ने कहा कि पुरोहित का बम धमाके से कोई लिंक नहीं मिला है। साथ ही साल्वे ने कहा कि पुरोहित 9 साल से जेल में हैं। अगर बम धमाकों के आरोप सिद्ध नहीं होते हैं तो उन्हें अधिकतम सजा 7 साल की हो सकती है, जो कि वह 2 साल पहले ही पूरी कर चुके हैं। याचिका में यह भी कहा है कि हाईकोर्ट ने सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की रिपोर्ट पर गौर नहीं किया, जिसमें कहा गया है कि वह सेना के लिए इंटेलीजेंस का काम करते थे। साथ ही कहा गया कि उन्हें राजनीतिक क्रॉसफायर का शिकार बनाया गया है व एटीएस ने उन्हें गलत तरह से फंसाया है। हालांकि एनआईए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी रद्द की थी याचिका, साध्वी प्रज्ञा को मिली थी जमानत
बता दें कि कर्नल पुरोहित पर ब्लास्ट की साजिश रचाने का आरोप है। इससे पहले इसी साल 25 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका रद्द कर दी थी। जिसके बाद उन्होंने अपनी जमानत की गुहार सुप्रीम कोर्ट में की थी। वहीं ब्लास्ट की दूसरी आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बॉम्बे हाई कोर्ट पहले ही जमानत दे चुकी है। हाकोर्ट में दायर याचिका रद्द होने पर कर्नल पुरोहित ने कहा था कि वह आठ साल से जेल में बंद हैं। कोर्ट अगर साध्वी को जमानत दे सकता है, तो मुझे क्यों नहीं। बता दें कि हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख रुपये की जमानत राशि पर छोड़ा था। साथ ही कोर्ट ने साध्वी को अपना पासपोर्ट NIA को जमा कराने के लिए भी कहा था। इसके अलावा कोर्ट ने साध्वी को हर तारीख पर पेश होने के आदेश दिए थे। साध्वी की जमानत पर कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पहली नजर में साध्वी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है।
एटीएस से एनआईए को मिला था केस
बता दें कि इस मामले की जांच पहले एटीएस के पास थी। बाद में यह केस एटीएस से लेकर एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को सौंपी दिया गया। एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन एनाईए ने कर्नल पुरोहित को जमानत देने से इनकार कर दिया था। एनआईए का मानना था कि पुरोहित पर लगे आरोप काफी गंभीर है। ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।
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