इसलिए मिली एक मामले में जमानत
दरअसल यादव सिंह के मामले में 60 दिनों में प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप पत्र दाखिल नहीं किया था। यादव सिंह के वकील ने ये बात कोर्ट के सामने रखी कि कानूनन 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल न होने पर जमानत मिल जाती है लेकिन इस केस में हाई कोर्ट ने जमानत नहीं दी।
दरअसल यादव सिंह के मामले में 60 दिनों में प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप पत्र दाखिल नहीं किया था। यादव सिंह के वकील ने ये बात कोर्ट के सामने रखी कि कानूनन 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल न होने पर जमानत मिल जाती है लेकिन इस केस में हाई कोर्ट ने जमानत नहीं दी।
हाईकोर्ट ने रद्द कर दी थी याचिका
कोर्ट ने यादव को कंडिशनल अतंरिम जमानत दी है। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने उनकी जमानत याचिका रद्द कर दी थी। यादव सिंह पर ये हैं आरोप
यादव सिंह पर नोएडा प्राधिकरण में चीफ इंजीनियर रहते हुए कई सौ करोड़ रुपए घूस लेकर ठेकेदारों को टेंडर बांटने से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग के कई केस दर्ज हैं। सीबीआई ने यादव सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 466, 467, 469, 481 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। यादव सिंह सहित उनके नोएडा अथॉरिटी के नौ साथी बहुचर्चित टेंडर घोटाले में डासना जेल में सजा काट रहे हैं।
कोर्ट ने यादव को कंडिशनल अतंरिम जमानत दी है। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने उनकी जमानत याचिका रद्द कर दी थी। यादव सिंह पर ये हैं आरोप
यादव सिंह पर नोएडा प्राधिकरण में चीफ इंजीनियर रहते हुए कई सौ करोड़ रुपए घूस लेकर ठेकेदारों को टेंडर बांटने से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग के कई केस दर्ज हैं। सीबीआई ने यादव सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 466, 467, 469, 481 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। यादव सिंह सहित उनके नोएडा अथॉरिटी के नौ साथी बहुचर्चित टेंडर घोटाले में डासना जेल में सजा काट रहे हैं।
यादव सिंह पर आरोप है कि उसने नोएडा प्राधिकरण में चीफ इंजीनियर रहते हुए कई सौ करोड़ रुपये घूस लेकर ठेकेदारों को टेंडर बांटे। यही नहीं नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटी में इंजीनियर रहते हुए यादव सिंह की सभी तरह के टेंडर और पैसों के आवंटन में बड़ी भूमिका होती थी।