बिलासपुर

निगम की सफाई की अपनी तैयारी, अब आपकी भागीदारी की बारी, कचरे को बोलिए बाय, कोना-कोना होगा स्वच्छ

शहर से रोजाना 180 टन कचरा निकल रहा है।

बिलासपुरSep 17, 2018 / 02:56 pm

Amil Shrivas

निगम की सफाई की अपनी तैयारी, अब आपकी भागीदारी की बारी, कचरे को बोलिए बाय, कोना-कोना होगा स्वच्छ

बिलासपुर. निगम प्रशासन ने शहर की सफाई व्यवस्था के लिए 400 सफाई कर्मियों, ठेका कंपनियों की 100 गाडिय़ों और करीब आधा दर्जन अत्याधुनिक मशीनों को सड़क पर उतार दिया है। स्थिति पहले से सुधरी दिखाई भी दे रही है, लेकिन नागरिकों के सहयोग के बिना नगर को स्वच्छ और सुंदर बनाना संभव नहीं है। आवश्यकता है जनसहयोग की, जिससे हालात सुधर सकें। 4000 से अधिक शहरों के बीच हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में बिलासपुर को देश में 22वीं रैंकिंग और प्रदेश में तीसरा स्थान मिलने के बाद निगम ने स्टार रैंकिंग मेें जगह बनाने के लिए सफाई व्यवस्था को और चुस्त-दुरुस्त बनाने का काम शुरू कर दिया है। शहर से रोजाना 180 टन कचरा निकल रहा है।
इसके उठाव और घरों -घर कचरे के संकलन का कार्य एमएसडब्ल्यू साल्यूशन को दिया गया है। कंपनी के 80 वाहन डोर टू डोर कचरा कलेक्शन और कचरे के उठाव में लगे हैं। संकलित कचरे के संपूर्ण निदान के लिए इसे डंपिंग यार्ड कछार भेजा जा रहा है। वहीं शहर के मुख्यमार्गों के 27 किलोमीटर सड़क की सफाई और धुनाई का कार्य दिल्ली के ही लायन सर्विसेज लिमिटेड को दिया गया है। मुख्यमंत्री द्वारा शुभारंभ करने के बाद शहर की सड़कों पर मशीन से झाडू लगाने से लेकर सड़क और डिवाइडरों की धुलाई का कार्य कराया जा रहा है। वहीं शहर के शेष वार्डों और अंदुरुनी सड़कों पर अभी मैन्युअल सफाई उन्हीं सफाई कर्मियों से कराई जा रही है जो पहले ठेकेदार के अधीन काम कर रहे थे। लायन सर्विसेज की रोड स्वीपिंग वाहन मशीन और कंप्रेशर सिस्टम समेत आधा दर्जन मशीन और 20 वाहन सफाई कार्य में लगे हैं।

कचरे का उठाव और धुलाई मशीन से : तय अनुबंध के तहत लायन सर्विसेज ने 24 घंटे सफाई का कार्य शुरू कर दिया है। शहर के 27 किलोमीटर मुख्य मार्ग पर झाडू लगवाने से लेकर कचरे का उठाव व परिवहन कर डंपिंग यार्ड कछार तक ले जाने तक और सड़कों व डिवाइडरों की सफाई मशीनों से किया जा रहा है।
नाले-नालियों की सफाई मैन्युअल : शहर के नाले-नालियों की सफाई का कार्य निगम का अमला मैन्युअल ही कर रहा है। कलवर्ट आदि ऐसे जगहों पर जहां जाम की स्थिति है, वहां के लिए निगम ने 4 जेटिंग मशीनें खरीदी हैं। इसे ावश्यकतानुसार कार्य में लगाया जाता है।
कछार में 35 करोड़ का संयंत्र ऐसे करेगा काम, 10 साल की मेहनत रंग लाई : रविवार को उद्घाटित शहर के समीप ग्राम कछार में स्थापित ठोस अपशिष्ट प्लांट छत्तीसगढ़ का प्रथम और भारत का द्वितीय पूर्ण रूप से ढंका हुआ मैकेनाइज्ड एरोबिक प्लांट होगा। इस प्लांट में गीले कचरे से खाद और सूखे कचरे से आरडीएफ (रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल) बनाया जाएगा। लगभग पौने चार लाख की आबादी वाले बिलासपुर शहर से रोजाना लगभग 180 टन कचरा निकलता है। शहरी कचरे का निपटान महानगरों में एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए बिलासपुर नगर निगम पिछले 10 साल से यहां ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन लागू करने प्रयासरत रहा। शासन ने निगम प्रशासन को कचरे के संपूर्ण निदान के लिए पहले मंगला छपराभाठा में फिर वहां विरोध होने पर ग्राम कछार में 25 एकड़ भूखंड प्रदाय किया, लेकिन इस पर काम शुरू नहीं हो सका। 10 साल बाद निगम प्रशासन का यह प्रयास सफल हो सका है। इस प्लांट के शुरू होने के बाद सफाई को और गति मिलेगी। हम अपने अभियान में सफल होंगे।

आरडीएफ का उत्पादन रोजाना 100 टन होगा : बताया जाता है कि सूखे कचरे को मकैनिकल स्क्रीनस के माध्यम से एरोबिक चैंबर में डालकर सूखाया जाएगा और इससे रिफ्यूज डिराइव्हड फ्यूल बनाया जाएगा। यह फ्यूल सीमेंट और पॉवर प्लांट को वैकल्पिक ईंधन के रूप में भेजा जाएगा। इस प्लांट से रोजाना करीब 100 टन आरडीएफ का उत्पादन संभावित है।
50 टन कम्पोज खाद का रोज होगा उत्पादन : गीले कचरे को मेकेनिकल सेंसर में डालकर एरोबिक स्टेटिक पिल्स में भेजा जाएगा। गीले कचरे को मशीन से क्रश कर रखा जाएगा जिससे जैविक प्रक्रिया में तेजी आएगी और जल्द कॉम्पोस्ट बन सकेगा। इससे रोजाना लगभग 50 टन खाद तैयार होने की उम्मीद है।
सफाई में नागरिकों की सहभागिता आवश्यक : शहरी कचरे का निदान महानगरों के लिए बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। निगम प्रशासन ने ऐसी स्थिति के बाद भी शहर के 4000 से अधिक शहरों के बीच 22वें नंबर पर अपना स्थान बनाया है। इसे और बेहतर कराने दो कंपनियों को काम दिया गया है। आवश्यकता नागरिकों के सहभागिता की है, वे भी शहर को सुंदर बनाने में सहयोग प्रदान करें।
सौमिल रंजन चौबे,आयुक्त नगर निगम बिलासपुर
एनजीटी ने छग को बनाया मॉडल : प्रदेश को शहरी कचरे के निदान में सराहना मिली है। एनजीटी ने छत्तीसगढ़ के मॉडल को पूरे देश में न सिर्फ श्रेष्ठ बताया है, बल्कि सभी राज्यों को इस मॉडल को अपनाने की सलाह भी दी है। प्रदेश का यह पहला ठोस अपशिष्ठ प्लांट पूरी तरह कवर्ड और प्रदूषण रहित है प्लांट में संपूर्ण कचरे का निदान किया जाएगा।
सौमिल रंजन चौबे, आयुक्त नगर निगम बिलासपुर
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