दिल्ली से तीन दिन पहले टिकमगढ़ के लिए ये मजदूर पैदल ही निकल पड़े। शुक्रवार को सुबह 9 बजे ग्वालिसर झांसी हाइवे पर बल्ला का डेरा क्षेत्र में 400 से अधिक मजदूर दिखाई दिए जो टिकमगढ़ जा रहे थे।
इन मजदूरों पर जब युवा समाजसेवियों की नजर पड़ी तो उन्होंने प्रशासन को सूचना दी। तहसीलदार नवनीत शर्मा, थाना प्रभारी यशवंत गोयल बल्ला का डेरा पहुंचे और इन्हें टीकमगढ़ भेजने की व्यवस्था की। मजदूरों ने बताया कि वे भूखे है और पैदल चलते-चलते थक गए है। इसके बाद कुछ समाजसेवियों ने चंदा कर इनके लिए भोजन की व्यवस्था की गई और भोजन के पैकेट बांटे।
यही नहीं इन युवाओं ने तीन बस और दो मेटाडोर के लिए डीजल की व्यवस्था भी की। जबकि यह व्यवस्था भी प्रशासन को जुटानी थी। तहसीलदार ने वाहन की व्यवस्था कर अनुमति प्रदान की और थाना प्रभारी ने युवाओं के साथ मिलकर भोजन के पैकेट बांटे।
गिर्राज सेवा समिति बल्ला का डेरा ने भोजन की व्यवस्था की। वहीं मनीष बिधोलिया, उधमसिंह रावत, युवराज, गिरजेश रावत, सोनू गुप्ता, सूरज मिश्रा, धीरेन्द्र सिंह राणा, हरी परिहार, कृष्णकांत, गजेन्द्र शर्मा और रामाश्रय शुक्ला ने डीजल के लिए चंदा एकत्रित किया।
मजदूरों ने बताया कि लॉकडाउन होने से काम बंद हो गया और ठेकेदार चार दिन पहले ही चला गया। उसने हमारी मजदूरी भी नहीं दी है। यात्री बस नहीं चलने के कारण वे पैदल ही निकल पड़े। काम नहीं मिलने से खाने तक की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। फरीदाबाद और दिल्ली में हम सभी मजदूरी करते है और टीकमगढ़ जिले के रहने वाले है।
गुरुवार रात में भी मकोड़ा के पास 50 से अधिक मजदूर मिले थे वे भी दिल्ली से पैदाल टीकमगढ़ जा रहे थे। डबरा प्रशासन ने उनकी भी मदद करते हुए वाहन की व्यवस्था कराई थी।
सेनेटाइज कराएं – ये सभी मजदूर बल्ला का डेरा क्षेत्र में ही एकत्रित हुए थे। अब नगर पालिका को चाहिये को वो इस पूरे क्षेत्र को सेनेटाइज कराए ताकि किसी भी संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।