संदिग्धों की जांच और संक्रमण की आशंका को लेकर डॉक्टरों का परिवार भी डरा हुआ है। सिविल अस्पताल के बीएमओ डॉ. एसके सोलंकी 22 मार्च से ग्वालियर से अपना घर छोड़कर डबरा में ही रहे है। उन्होंने परिवार से दूरी बनाई हुई है ताकि वे भी सुरक्षित रहें।
डॉ. सोलंकी पर पूरे डबरा क्षेत्र का भार है । वे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में आने वाले संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग कर रहे है। डॉ. सोलंकी ने बताया कि वे पिछले पांच दिनों से अपने परिवार से नहीं मिले है । वे इस कारण भी परिवार से नहीं मिल रहे है ताकि वे परिवार सुरक्षित रहे।
उन्हें भी डर है लेकिन डॉक्टर होने का फर्ज निभा रहे है। उनके बच्चे फोन पर कहते है कि घर आ जाओ लेकिन उनकों समझाकर जल्द आने की बात कहकर बहला देते है।
दिनभर अस्पताल के अन्य डॉक्टर भी ड्यूटी दे रहे है। डॉक्टर सोलंकी ने बताया कि पहली बार इतनी संख्या में लोगों की जांच की जा रही है। इसके पहले कभी ऐसा काम नहीं किया। मुझे भी बहुत गर्व हो रहा है कि मैं ऐसी परिस्थितियों में देश के काम आ रहा हूं।
चिंता बनी रहती है : डॉ. सोलंकी की पत्नी वंदना ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि उनके पति सिविल अस्पताल डबरा में अपना फर्ज निभा रहे है। उन्हें अन्य पत्नियों की तरह अपने पति की चिंता है और डर भी बना हुआ है। वंदना ने यह भी कहा कि इस समय डॉक्टर को ही अपना कर्तव्य निभाना और मुझे इस बात पर गर्व भी है कि वे लोगों की जान बचाने में लगे है।
बगैर सुरक्षा संसाधनों के कर रहे काम : संदिग्धों की स्क्रीनिंग के काम में जुटे पेरामेडिकल स्टॉफ के कर्मचारी रामदूत नरवरिया ने बताया कि वे भी अपने परिवार से अलग रहकर डबरा में ही रह रहे है । इसके पहले कभी परिवार से दूर होकर काम नहीं किया। डर तो लगता है लेकिन काम करना है।
हालांकि उन्हें इस बात का मलाल है कि उनकी सुरक्षा को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है। मास्क तक की व्यवस्था नहीं है बिना मास्क के ही स्क्रीनिंग कर रहे है। हाथ धोने के लिए विभाग ने सेनेटाइजर भी उपलब्ध नहीं कराया है। बिना सुरक्षा किट के काम कर रहे है।
एसडीएम ने बीएमओ से इनकी सुरक्षा को लेकर मास्क उपलब्ध कराए जाने के लिए कहा था लेकिन अभी तक व्यवस्था नहीं की जा सकी है।