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नहीं सुनाई दे रही इंजन की सीटी

locationडबराPublished: Mar 31, 2020 08:02:23 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

यहां अब न इंजन की सीटी की आवाज सुनाई दे रही है न ही अनाउंस के जरिए यात्री ध्यान दें के स्वर। अगर कुछ दिखाई दे रहा है तो प्लेटफार्मों पर सन्नाटा। शहर के 70 से 80 साल के बुजुर्ग कहते हैं कि ऐसा मंजर उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।

नहीं सुनाई दे रही इंजन की सीटी

नहीं सुनाई दे रही इंजन की सीटी

डबरा. 70 साल के डबरा रेलवे स्टेशन के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि पूरा स्टेशन लॉक है और किसी को भी यहां आने की इजाजत नहीं है। यहां अब न इंजन की सीटी की आवाज सुनाई दे रही है न ही अनाउंस के जरिए यात्री ध्यान दें के स्वर।
अगर कुछ दिखाई दे रहा है तो प्लेटफार्मों पर सन्नाटा। शहर के 70 से 80 साल के बुजुर्ग कहते हैं कि ऐसा मंजर उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।

डबरा रेलवे स्टेशन बी श्रेणी का स्टेशन है। यहां करीब एक दर्जन से अधिक ट्रेनों का हाल्ट है और प्रतिदिन करीब पांच हजार के करीब यात्री आते-जाते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के लॉकडाउन के चलते पिछले 9 दिन से स्टेशन पर सन्नाटा पसरा है।
स्टेशन पर रेलवे विभाग की ओर से प्रवेश वर्जित का बोर्ड लगा दिया गया है ताकि कोई प्रवेश न कर पाए। केवल स्टेशन स्टाफ, आरपीएफ और जीआरपी के लोग ही कभी-कभी दिखाई रहे हैं।
सराफा बाजार में रहने वाले वयोवृद्ध समाजसेवी रामानंद गुप्ता बताते हैं कि देश में इससे पहले भी कई दिनों तक कफ्र्यू लगा है, लेकिन ट्रेनें कभी बंद नहीं हुई। ये पहली बार हुआ है कि पूरे 21 दिनों के लिए ट्रेनें बंद हुई हैं।
दीदार कॉलोनी निवासी बुजुर्ग राजाराम साहू बताते हैं कि रेलवे स्टेशन को बने हुए करीब 70 साल हो गए, लेकिन जब से यहां स्टेशन स्थापित हुआ है उस दिन से अब तक एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ है कि पटरियां सूनी रही हों।
स्टेशन पर सन्नाटे का ऐसा मंजर पहली बार देखा है। बुजुर्ग रोड पर रहने वाले शासकीय सेवानिवृत्त बुजुर्ग जेएस भदौरिया कहते हैं ये अलग बात है कि कभी कोई दुर्घटना या फिर ट्रेक पर काम चलने के कारण दिनभर ट्रेनें न निकली हो, लेकिन पूरी तरह से वो भी 21 दिनों तक ट्रेनें बंद होना वे अपने जीवन में पहली बार देख रहे हैं।
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