जौरासी वन चौकी के अंतर्गत जौरासी, बहादुरपुर व बिलौआ के जंगलों में वनकर्मियों की मिलीभगत से लकड़ी माफिया बड़ी संख्या में पेड़ काट चुके हैं। यह सिलसिला लगातार जारी है। इन जंगलों में सैकड़ों की संख्या में कटे हुए पेड़ों के अवशेष रह गए हैं जो अंधाधुंध कटाई की कहानी बयां कर रहे हैं। इस संबंध में पत्रिका ने 3 जून के अंक में प्रमुखता के साथ खबर का प्रकाशन किया था।
खबर में बताया गया था कि जौरासी वन चौकी के अंतर्गत आने वाले वनों की रक्षा के लिए वन चौकी पर 6 गार्ड एक डिप्टी रेंजर और 6 चौकीदार कार्यरत हैं। इन्हें वनों की देखरेख और सुरक्षा के लिए रखा गया है। इनका काम वनों में लगे हुए हरे-भरे पेड़, मुरम, पत्थर आदि की रक्षा करना है। थोड़े से लालच में वनकर्मी लकड़ी माफिया से मिलकर जंगल में लगे हरे भरे पेड़ों को कटवा रहे हैं और अपने हिस्से का कमीशन हर महीने ले लेते हैं। खैर की लकड़ी का कत्था बनाया जाता है इसलिए इसकी कीमत भी काफी है। वन माफिया वनों से कीमती खैर के हरे भरे पेड़ों को काटकर बैल गाडिय़ों में लकड़ी भरकर ले जाते हैं जिन्हें लडक़ी गोदामों पर ऊंचे दाम में बेच रहे हैं ।
कथन
जंगल में पेड़ों की कटाई की जांच जल्द की जाएगी। ठूंठों की गिनती की जाएगी और उन पर नंबर डाले जाएंगे ताकि पता चल सके कितने पेड़ काटे गए हैं। आसपास के लोगों से भी जानकारी ली जाएगी कहां-कहां पर पेड़ काटे गए हैं। इसके बाद संबंधित पर पर कार्रवाई की जाएगी।
राजीव कौशल, एसडीओ, वन ग्वालियर
जंगल में पेड़ों की कटाई की जांच जल्द की जाएगी। ठूंठों की गिनती की जाएगी और उन पर नंबर डाले जाएंगे ताकि पता चल सके कितने पेड़ काटे गए हैं। आसपास के लोगों से भी जानकारी ली जाएगी कहां-कहां पर पेड़ काटे गए हैं। इसके बाद संबंधित पर पर कार्रवाई की जाएगी।
राजीव कौशल, एसडीओ, वन ग्वालियर