राज्य स्तरीय अवार्डी भी शामिल मेले में राज्य स्तरीय अवार्ड और उत्कृष्ट डिजाइन के निर्माताओं का खिताब पा चुके शिल्पकार मौजूद हैं। शिल्पी मुजफ्फर खां बताते हैं कि सैकड़ों वर्ष पूर्व चंदेरी साड़ी जब बनाई जाती थी, तो सैनिक सुरक्षा में तैनात किए जाते थे। क्योंकि उस समय बनाने के लिए कोई संसाधन नहीं होते थे। एक साड़ी को बनाने में कई महीने का समय लगता था। इसीलिए चंदेरी को सैनिक शासक प्रदेश भी कहा जाता है। ऐतिहासिक डिजाइनों के कारण शहर की महिलाएं चंदेरी साड़ी की परचेजिंग कर रही हैं।
देश के 70 शिल्पी ले रहे भाग सावन मेला में देशभर से लगभग 70 शिल्पी भाग ले रहे हैं। यहां सभी प्रकार की साड़ियां, सूट, स्टाल, जूट आयटम्स, हैंडीक्राफ्ट आयटम्स, वुडन ट्वॉयज, पीतल के आयटम्स आदि शामिल किए गए हैं, जो रीजनेबल रेट में हैं। इस शिल्प मेले में शिल्पियों के हाथों की बेजोड़ कारीगरी देखने को मिलती है।