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तहसील मुख्यालय पर विशेष तैयारी पर गांवों में अस्पताल तक नहीं खुल रहे

locationडबराPublished: Apr 02, 2020 10:13:42 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

अस्पताल में व्यवस्थाएं भी काफी की गई है, लेकिन ऐसे हालातों में जब गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की ज्यादा जरूरत है तब उपस्वास्थ्य केन्द्र या तो खुल नहीं रहे हैं उनमें ताले पड़े हैं।

तहसील मुख्यालय पर विशेष तैयारी पर गांवों में अस्पताल तक नहीं खुल रहे

तहसील मुख्यालय पर विशेष तैयारी पर गांवों में अस्पताल तक नहीं खुल रहे

डबरा/छीमक. कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए इन दिनों भरसक प्रयास किए जा रहे है। रोजाना पॉजीटिव केस बढ़ रहे है। यही कारण है कि तहसील मुख्यालय पर स्वास्थ्य विभाग का अमला भी जूटा हुआ है।
अस्पताल में व्यवस्थाएं भी काफी की गई है, लेकिन ऐसे हालातों में जब गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं की ज्यादा जरूरत है तब उपस्वास्थ्य केन्द्र या तो खुल नहीं रहे हैं उनमें ताले पड़े हैं।
अगर कभी खुल रहे है तो यहां खांसी-जुकाम की दवा तक नहीं है। प्राइवेट डॉक्टरों के क्लीनिक बंद हैं, ऐसे में बीमार लोग इलाज कराने जाए तो आखिर कहां जाए।

स्वास्थ्य विभाग ने गांवों में उपस्वास्थ्य केन्द्र खोले हैं। यहां एक एएनएम और एमपीडब्यू की तैनाती की गई है। एएनएम का काम स्वास्थ्य केन्द्र पर टीकाकरण के साथ ही ग्रामीणों को हल्की-फुल्की बीमारी में दवा देना और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना है।
वैसे तो ज्यादातर उपस्वास्थ्य केन्द्रों पर ताले ही पड़े रहते हैं। लेकिन वर्तमान में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के चलते नगर के साथ-साथ गांवों में भी स्वास्थ्य सुविधा पर पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए पर ऐसा हो नहीं रहा है।
जैसा ढर्रा पहले था वैसा ही अब है। कुछ उपस्वास्थ्य केन्द्र खुल नहीं रहे है। जो एक दो घंटे के खुल भी रहे हैं तो वहां कोई सुविधाएं नहीं हैं।

छीमक का उपस्वास्थ्य केन्द्र इन दिनों महज औपचारिकता के लिए ही खुल रहा है। यहां किसी भी प्रकार की दवा नहीं है। इससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। लीटापुरा गांव का उपस्वास्थ्य केन्द्र तो लंबे समय से खुल ही नहीं रहा है।
गांव के बल्ली जाट का कहना है कि अस्पताल महीनों तक नहीं खुलता ताला पड़ा रहता है। ग्रामीण इलाज के लिए परेशान हो रहे हैं। उपस्वास्थ्य केन्द्र भेगना की कहानी यह है कि अस्पताल खुल तो रहा है लेकिन किसी प्रकार की कोई दवा इसमें नहीं है।
गांव के रामेश्वर राणा का कहना है कि जब सुविधाएं ही नहीं है तो खोला ही क्यों गया। इसी प्रकार की स्थित अकबई बड़ी के उपस्वास्थ्य केन्द्र की है। यहां भी अस्पताल नहीं खुल रहा है। इस बात को लेकर ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
बिलौआ का उपस्वास्थ्य केन्द्र में भी ताले पड़े हैं। वैसे भी यह अस्पताल महीने एक या दो बार ही खुलता है। टेकनपुर उपस्वास्थ्य केन्द्र में भी ताले पड़े हैं।


प्राइवेट क्लीनिक बंद कहां जाएं मरीज: लॉक डाउन के चलते गांवों में प्राइवेट चिकित्सकों के क्लीनिक पूरी तरह से बंद है। उपस्वास्थ्य केन्द्र के बंद रहने पर ग्रामीणों को परवाह नहीं थी वे निजी चिकित्सकों से इलाज करा लेते थे लेकिन उनके बंद होने से गांवों में बीमार होने वालों के सामने काफी संकट खड़ा हो गया है। मेडिकल स्टोर से बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेना घातक भी हो सकता है।

वर्तमान की स्थिति को देखते हुए उपस्वास्थ्य केन्द्र के कुछ कर्मचारियों की ड्यूटी डबरा या अन्य जगह लगाई गई है । फिऱ भी फील्ड के स्वास्थ्यकर्मियों को अपना दायित्व निभाने का जिम्मा दिया गया है अगर वे दायित्व नहीं निभा रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
डॉ. सुरेन्द्र सिंह सोलंकी, बीएमओ, डबरा

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