डबरा

हौसले बुलंद हों तो कोई भी बाधा नहीं हो सकती आप पर हावी

कहते हैं यदि हौसले बुलंद हों तो कोई भी बाधा आप पर हावी नहीं हो सकती। कुछ ऐसा ही है इन बच्चों के साथ, जो बोल और सुन तो नहीं सकते, लेकिन अपनी शाइन लैंग्वेज से दिल की बात कहते हैं और हर बात समझते हैं।

डबराSep 23, 2019 / 08:44 pm

Harish kushwah

हौसले बुलंद हों तो कोई भी बाधा नहीं हो सकती आप पर हावी

ग्वालियर. कहते हैं यदि हौसले बुलंद हों तो कोई भी बाधा आप पर हावी नहीं हो सकती। कुछ ऐसा ही है इन बच्चों के साथ, जो बोल और सुन तो नहीं सकते, लेकिन अपनी शाइन लैंग्वेज से दिल की बात कहते हैं और हर बात समझते हैं। इनमें से किसी का डॉक्टर बनने का सपना है, तो किसी का इंजीनियर। ऐसे बच्चों को सशक्त करने के लिए शहर की कुछ संस्थाएं भी आगे आई हैं, जिन्होंने इनके सपनों को पूरा करने का बीड़ा उठाया है। हम आपको कुछ ऐसी ही संस्था और बच्चों से परिचित करा रहे हैं, जिन्होंने साइन लैंग्वेज से अपनी बात पत्रिका के सामने रखी और मेघा गुप्ता द्वारा उसे बताया गया।
डेफ एजुकेशन एंड मल्टीटास्क सोसायटी की ओर से मूक बधिर बच्चों की क्लास ली जाती है, जिसमें उन्हें साइन लैंग्वेज के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है। यह क्लास महिला पॉलीटेक्निक कॉलेज में संचालित हो रही है। यहां छोटी उम्र के लगभग 30 स्टूडेंट्स हैं। पिछले कई वर्षों से संचालित इस क्लास में बच्चे अलग-अलग विधाओं में निपुण हो गए हैं। उनके लिए समय-समय पर प्रतियोगिताएं भी आयोजित होती हैं, जिसमें उन्होंने खुद की पहचान बनाई है।
मेघा की शुरुआत लाई रंग

डायरेक्टर और ट्रेनर मेघा गुप्ता ने इस क्लास की शुरुआत अपने पैरेंट्स की स्थिति को देखकर की थी। दरअसल उनके पैरेंट्स भी मूक-बधिर हैं। मेघा ने बताया कि क्लास ले रहे इन बच्चों ने अपने सपने बुन लिए हैं। हर एक की अपनी अलग चाह है, जिसके लिए वे प्रयासरत हैं और वह सफल भी होंगे। क्योंकि वे पूरे हौसले के साथ हार्डवर्क कर रहे हैं।
…ताकि बन सकें सशक्त

मूक बधिर बच्चों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए संस्थाओं की ओर से जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे सामान्य बच्चे भी उनसे परिचित हो सकें और अपने आसपास मिलने वाले ऐसे बच्चों को मोटिवेट करें। इस अभियान का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा मूक बधिर बच्चों को बेहतर शिक्षा प्राप्त कराना है, ताकि वे सशक्त बन सकें।
पढ़ाई के साथ लेता हूं अदर एक्टिविटी में भाग

मैं अपने हुनर के दम पर शहर और प्रदेश का नाम रोशन करना चाहता हूं। इसके लिए मैं प्रयासरत हूं। मैं पढ़ाई के साथ ही अदर एक्टिविटी में भी पार्टिसिपेट करता हूं।
मयंक दीक्षित

मेरा सपना कुछ अलग करके दिखाने का है। मैं बोल और सुन नहीं सकता, तो क्या हुआ। मैं अपने टैलेंट के दम पर शहर और प्रदेश का नाम रोशन करूंगा।

आशीष राजावत
नोट: जैसा कि बच्चों ने साइन लैंग्वेज से बताया।
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