रपटा बनने से बारिश के दिनों में नदी में तैरकर उस पार खेती के लिए नहीं जाना पड़ेगा। अभी यह किसान खेत में जाने के लिए नदी पार करते थे या फिर आठ किमी का चक्कर लगाकर अपने खेते पर पहुंच पाते थे। रपटा निर्माण की मांग करते हुए थक चुके ग्रामीणों ने श्रम दान कर एंव चंदा कर खुद ही रपटा तैयार कर लिया ।
ग्रामीण इलाकों में विकास नहीं पहुंच सका है। कई बार जनप्रतिनिधि और प्रशासन भी इन इलाकों में राहत और विकास के कार्य नहीं कर पाते हैं।. लेकिन ऐसे वक्त में ग्रामीण अपनी सूझबूझ का उदाहरण देने से पीछे नहीं हटते हैं। कहते हैं जहां चाह, वहां राह इस वाक्य को गड़ाजर गांव के ग्रामीणों ने सच कर दिखाया है। सूखा नदी पर रपटा निर्माण की मांग करते-करते थक चुके ग्रामीणों ने श्रम दान कर खुद ही चंदा कर रपटा तैयार कर लिया है ताकि उन्हें बारिश के दिनों में आगावमन के दौरान परेशानी का सामना न करना पड़े।
जनपद पंचायत भितरवार के अन्र्तगत आने वाली ग्राम पंचायत गड़ाजर गांव के निवासी सूखा नदी पर पुल नहीं होने के कारण बीते कई सालों से रपटा निर्माण की मांग करते आ रहे हंै। हर वर्ष ग्रामीणों को बारिश में रपटा नहीं होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। क्योंकि गड़ाजर गांव के लोगों की खेती की जमीन किठौंदा मौजे में है, ऐसे में सूखा नदी में पानी आ जाने के कारण ग्रामीणों को बारिश के चार महीनो में खेती किसानी के लिए दूसरी ओर पहुचनें में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, गांव के ग्रामीणों हरिप्रसाद गौतम, बृजेश मिश्रा रघुवीर राजावत, बल्लू गौतम लालू पवैया, बंटी राठौर, भोला तिवारी, श्रीपाल राठौर, कल्लू परमार, जगदीश कुशवाह रामप्रसाद बघेल,फेरन कुशवाह नें बताया कि ऐसे में गांव के लोगों ने पंचायत बुलाकर खुद के पैसे से पुल बनाने का निर्णय लिया। सभी के सहयोग से दुपहिया वाहनों एंव पैदल आवागमन लायक रपटा ग्रामीणों ने तैयार कर लिया।
बता दें कि इस पुल के निर्माण होने से गड़ाजर गांव सहित अन्य गांव के लोग सूखा नदी के पार आसानी से आवागमन कर पाएंगे। इससे पहले 8 किलोमीटर घूम करने के बाद चरखा होते हुए ग्रामीण अपने ट्रैक्टर एंव दुपहिया वाहनों से किठौदा मौजे में स्थित खेतों तक पहुंच पाते थे।
जब शासन प्रशासन अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक से नहीं करते तो जनता को अपनी समस्याओं के समाधान में विकास के लिए स्वयं आना पड़ता है। गिर्राज राठौर, समाजसेवी किसान, ग्राम पंचायत गड़ाजर