मुनि ने कहा कि नकारात्मक सोच, खान-पान की अशुद्धता, इच्छा पूर्ति नहीं होना आदि अनेक कारणों से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। तनाव से छुटकारा पाने के लिए जरूरी है कि किसी से ज्यादा अपेक्षा नहीं रखें। संतोष जीवन में शांति का झरना बहाता है। परस्पर प्रेम-वात्सल्य की सरिता प्रवाहित करता है। घर को स्वर्ग बनाता है। जीवन में विकट परिस्थितियां भी व्यक्ति को कठनाईयों से लडऩेे में सक्षम बनाती हैं। स्वयं को हर परिस्थिति का सामना करने योग्य बनाना चाहिए और जितना हमें प्राप्त है उसी मे संतुष्ट रहें और अशांत करने वाली परिस्थितियों को उत्पन्न ही नहीं होने दें।
धर्मसभा का शुभारंभ मंगलचारण राहुल जैन डायमंड ने किया। आचार्यश्री विराग सागर महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित महावीर दिगंबर जैन मंदिर कमेटी अध्यक्ष राजेंद्र जैन मंत्री विजय जैन पदम चंद जी जैन रजवार ने किया। मुनिश्री के पादप्रक्षालन रामजी लाल, सुंदर लाल , वीरेंद्र चौधरी, नेमीचंद, शीतल प्रसाद, राजू चौधरी, सुरेश चंद, जैन बल्लू जैन, विमल चंद जैन, जिनेंद्र जैन ने किए।