जनपद पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत 82 ग्राम पंचायतें आती हैं जिनमें से आधी से अधिक ग्राम पंचायतों के रहवासी आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। कई गांवों में सड़क नहीं होने से राहगीरों को कीचड़ में से निकलना पड़ता है। वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं की बात की जाए तो अधिकांश गांवों के स्वास्थ्य केन्द्र शोपीस बने हुए हैं।
ग्रामीणों को अस्पताल खुलने का इंतजार रहता है, क्योंकि गांवों के स्वास्थ्य और उपस्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ स्टाफ के दर्शन कभी कभार ही होते हैं। इसी प्रकार गांवों में बने शासकीय विद्यालय भी कभी कभार ही खुलते हैं।
शैक्षणिक सत्र के दौरान स्कूलों में पदस्थ शिक्षक मनमर्जी से स्कूल आते हैं। इस वजह से बच्चों को पर्याप्त शिक्षा के अभाव में घर वापस लौटना पड़ता है। गांवों में बने कई स्कूल माह में केवल दो-चार दिन ही खुलते हैं, जिसका उदाहरण कई बार अधिकारियों द्वारा किए गए निरीक्षण में शिक्षकों के अनुपस्थित रहने से मिला है।