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अपने हकों और अधिकारों के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ें

locationडबराPublished: Aug 09, 2020 11:02:17 pm

श्यामपुर स्थित आदिवासी दफाई में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस

अपने हकों और अधिकारों के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ें

आदिवासी समुदाय हक और अधिकार की लड़ाई के लिए एकजुट होने का हाथ उठाकर संकल्प लेते हुए।

भितरवार. अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस रविवार को विकासखंड के ग्राम श्यामपुर स्थित आदिवासी दफाई में मनाया गया, जिसमें एकता परिषद के संभागीय समन्वयक सहित एकता परिषद के सदस्य शामिल हुए। इस मौके पर आदिवासी समुदाय के लोगों ने अपने हक और अधिकार की लड़ाई के लिए एकजुट होने का संकल्प लिया।
आदिवासी समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए एकता परिषद के संभागीय समन्वयक डोंगर शर्मा ने कहां की विश्व आदिवासी दिवस वर्ष 1982 से हर वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है। यह अंतरराष्ट्रीय दिवस केवल आदिवासियों के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए अहम दिवस है, लेकिन आज आजादी के 7 दशक बीत जाने के बावजूद आदिवासियों की स्थिति में सुधार नहीं आया है। ऐसा नहीं है कि सरकार योजना नहीं बनाती हो योजनाएं बनती हैं, लेकिन वह कागजों तक सीमित होकर रह जाती हैं। जिस स्थिति में आदिवासी समुदाय अपना जीवन यापन करते हैं। उस स्थिति को देखकर पीड़ा होती है कि यह आज भी असुविधा पूर्ण वातावरण में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक समाज के रूप में भी जाना जाता है। आदिवासी समुदाय प्रकृति में पाए जाने वाले सभी जीव, जंतु, पर्वत, नदियां, नाले, खेतों की पूजा करते हैं और उनका मानना है कि प्रकृति की हर एक वस्तु में जीवन होता है। आज देश के अंदर जंगलों की जमीन पर कई दशकों से रह रहे आदिवासी समुदाय पर बड़े-बड़े उद्योगपति उनके सर की छत को छीनने में लगे हुए हैं, वहीं उनकी पट्टा भूमियों को दबंगों द्वारा लिया गया है, जिसके कारण उनकी अजीविका खतरे में आ गई है। आज भी कई जगह बंधुआ मजदूरी या जंगलों से लकड़ी की तरह अपना भरण-पोषण और परिवार का संचालन कर रहे हैं। सरकार की योजनाओं पर अधिकारी और नेता मलाई छान रहे हैं, वहीं बसे समुदाय दर-दर की ठोकर खाने के लिए मजबूर हो रहा है। इस दौरान शर्मा के मार्गदर्शन में उपस्थित आदिवासी समुदाय के लोगों ने अपने हक और अधिकार की लड़ाई के लिए एकजुट होने का संकल्प लिया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से वरिष्ठ अभिभाषक रमेशचंद्र दुबे, इंदल सिंह, गजेंद्र सिंह जाटव, रामजी आदिवासी, जनक सिंह, कुबेर सिंह, गुड्डी बाई, मुन्नी, लक्ष्मीबाई ,गोदावरी सहित कई लोग उपस्थित रहे।

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