क्षेत्र में बहने वाली लिडवा नदी पर छीमक के पास वर्ष – 2008 में 11 लाख 47 हजार की लागत से चेक डैम बनाया गया था। यह डैम चार साल बाद यानि वर्ष – 2012 में क्षतिग्रस्त हो गया था। इस ओर सिंचाई विभाग का ध्यान नहीं होने के कारण 8 साल से चेक डैम क्षतिग्रस्त हालत में है। इसकी एक तरफ की दीवार पूरी तरह से टूटकर पानी में बह गई है। इस वजह से पूरा पानी बह जाता है। इस चेक डैम से करीब 6 से अधिक गांवों के किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिलता था। नहर एवं बरसात का पानी इकठ्ठा होकर यह किसानों की सिंचाई उपलब्ध कराता था। आज चेक डैम बदहाल पड़ा हुआ है और किसानों की सिंचाई नहीं हो पा रही है।
बताया जाता है कि काफी मात्रा में इस चेक डैम में पानी इकठ्ठा हो जाता था। जो किसानों को सिंचाई के लिए काफी था। इसके साथ ही गर्मियों के मौसम में पशुओं को पानी पीने के लिए मिलता था। आसपास गांवों में लगे बोरों का भी जलस्तर डैम भरा रहने के कारण अच्छा रहता था और बोरिंग में पानी भरपूर रहता था । डैम सूखने के कारण बोरों का भी वाटर लेवल भी नीचे चला गया है।
किसानों ने कई बार दिए आवेदन – चेक डैम क्षतिग्रस्त होने से खड़ी हो रही समस्या को लेकर छीमक समेत 6 गांव के किसानों ने कई बार आवेदन देकर कलेक्टर एवं जिला पंचायत को भी अवगत कराया है। इसके बाद भी आज तक सुनवाई नहीं हुई है। किसान नेकसिया राम साहू, अंबिका दुबे, कृष्ण लाल दुबे, जीतेन्द जाट, नरेश जाट, ज्ञान प्रसाद श्रीवास्तव, टेकन सिंह कुशवाह ने कई बार आवेदन देकर चेक डैम की मरम्मत की मांग की है परंतु आज तक इसे सुधारा नहीं गया है।
इन गांवों की खेती की होती है सिंचाई – लिडवा नदी पर बने इस चेक डैम से छीमक समेत सेतोल, ठेटियापुरा, छोटी अकबई, छोटा बाबूपुर, समाया, खेरवाया आदि गांव के किसानों की फसलों की सिंचाई होती है। किसानों का कहना है कि अगर बरसात से पहले चेकडैम को ठीक करा दिया जाए तो किसानों को पर्याप्त पानी मिल जाएगा और उनकी फसल को भरपूर पानी उपलब्ध हो जाएगा।
एक साल पहले आया था पैसा – पूर्व जनपद सदस्य महादेवी महेंद्र साहू ने बताया कि 2014 में चेक डैम बनाने के लिए करीब 1 लाख रुपया आया था जो कि चेक डैम को ठीक करने के लिए काफी कम था( इसलिए चेक डैम को नहीं बनवाया गया है जब से आज तक कोई पैसा नहीं आया है( जबकि सरकार को किसानों के हित के लिए चेक डैम बनवाना चाहिए ताकि किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिल सके।