मंदिरों के पट बंद होने के कारण उन्होंने मंदिरों के दरवाजों पर ही भगवान विष्णु की पूजा कर व्रत का पालन करते हुए दान पुण्य किया तो कई लोगों ने सूर्यास्त के बाद जल ग्रहण कर व्रत का समापन किया।
निर्जला एकादशी व्रत को लेकर बाजारों में दिनभर रौनक रही। व्रत का पालन करने वाले लोगों ने आम, खरबूजे, सेब, संतरा सहित मिठाइयां खरीदी। साथ ही दान पुण्य के लिए किसी ने मिट्टी के घड़े तो किसी ने खस का बैठका, खजूर का बीजना खरीद कर पूजन उपरांत दान स्वरूप गरीब असहाय लोगों को प्रदान किए।
कई ने मंदिरों में नकद राशि के साथ फल-फूल एवं मिट्टी के कलश चढ़ाए। इसके साथ कई लोगों ने बुधवार को द्वादशी के अवसर पर समापन करने का संकल्प लिया। निर्जला एकादशी का शास्त्रों में भी खास महत्व बताया गया है कि महाभारत काल में भीम ने इस उपवास को रखा था। इस कारण इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। यह भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए निर्जल उपवास किया जाता है। शास्त्रों में बताया जाता है वर्ष के 12 महीनों में 24 एकादशी पड़ती हैं। इन सभी 24 एकादशी का लाभ निर्जला एकादशी व्रत करने के साथ पूर्ण हो जाता है।