ेजिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी राकेश अहिरवार ने का कहना है कि पिछले पांच साल का रिकॉर्ड उन्होंने देखा है जिसमें करीब १८० सेंपल दूध वालों के लेकर उनकी जांच कराई जिसमें किसी भी विक्रेता के दूध का सेंपल ऐसा नहीं निकला कि उसके द्वारा बेचे जा रहे दूध में यूरिया, वॉशिंग पाउडर,खाने का सोड़ा या कोई अन्य कैमीकल पाया गया हो। हां, अधिकांश दूध सेंपल में पानी मिला होना जरुर पाया गया। जिसमें एडीएम के यहां से आरोपियों को जुर्माने की सजाएं सुनाईं गईं।
जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी राकेश अहिरवार ने बताया कि पिछले दिनों दिल्ली से भारतीय खाद्य सुरक्षा विभाग ने गुप्त जांच कराते हुए दूध बेचने वालों के ८० सेंपल लिए थे। सभी को जांच के लिए भेजा गया। जिसमें से अधिकांश में पानी की मिलावट तो पाई गई, लेकिन किसी भी सेंपल में घातक कैमिकल का पाया जाना नहीं पाया गया।
जानकार बताते हैं कि यदि दूध में यूरिया की मिलावट की जाती है तो मरीज को खून की उल्टी और लकवे जैसी समस्या आ सकती है। जिससे अधिक गंभीर होने के बाद उसकी मौत भी हो जाती है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा कृतिम और मिलावटी दूध के कारोबार से सिंथेटिक मावा भी तैयार किया जा रहा है। पिछले दिनों देहात थाना क्षेत्र के जबलपुर नाका चौकी क्षेत्र में सिंथेटिक खोवा जब दमोह लाया जा रहा था। तभी अचानक पुलिस व खाद्य विभाग की टीम ने एक क्विंटल सिंथेटिक मावा जब्त कर उसे विनिष्टीकरण कराया था।
ऐसे करते हैं जांच –
दूध में यूरिया मिला है या नहीं इसकी जांच के लिए एक टेस्ट ट्यूब में थोड़ा दूध और सोयाबीन या अरहर का पाउडर मिलाएं, पांच मिनट बाद उसमे लाल लिटमस पेपर डुबोएं। अगर पेपर का रंग नीला होने पर स्पष्ट हो जाएगा कि दूध मे यूरिया की मिलवाट की गई है। इसी तरह से डिटरजेंट की मिलावट का पता लगाने के लिए दूध में 0.1 उस बीसीपी सॉल्युशन मिलाने पर दूध का रंग बैंगनी हो जाता है, जिससे डिटरजेंट की मिलावट होना तय माना जाता है। इसी तरह से लैक्टोमीटर जो बाजार में आसानी से मिल जाता है। जिसमें डिग्री डालकर भी दूध को चैक किया जाता है। पीएच स्ट्रिप में दूध की एक बूंद डालें, अगर दूध शुद्ध होगा तो पीएच रेशो 6.4 से 6.6 होगा और अगर यह इससे कम या ज्यादा पाया जाता है तो निश्चित ही उसमें मिलावट होने की संभावना तय रहती है।
ेबताया गया है कि किसी दूध विक्रेता द्वारा अमानक दूध बेचा जाता है, तो उसे ५ लाख रुपए तक के जुर्माने की सजा सुनाई जा सकती है। अगर किसी भी विक्रेता के द्वारा बेचे जाने वाले दूध के लिए गए सेंपल में यूरिया, वॉशिंग पाउडर, खाने का सोड़ा या फिर कोई अन्य घातक कैमिकल पाया जाता है जिससे इंसान के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ता है या उसके लिए जानलेवा साबित होता है, तो ऐसे लोगों को छह माह से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। जिसमें ५ लाख रुपए तक का जुर्माना भी है।
शहर के साथ जिले भर में कार्रवाई की जाती है। लेकिन पिछले पांच साल में किसी भी घातक कैमीकल का दूध में मिला होना नहीं पाया गया है। जांच आगे भी निरंतर जारी रहेगी।
राकेश अहिरवार -जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी