14 हजार 594 के अधूरे आवास, बारिश में होगी परेशानी
दमोहPublished: Jun 22, 2020 11:10:14 pm
झोपड़ी व कच्चे मकानों में रहने वालों के नहीं हुए पक्के आवास
14 thousand 594 unfinished houses, there will be trouble in rain
दमोह. प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत हितग्राहियों की पहली, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ किस्त न आने से आवास अधूरे हैं। शहर व गांव में लोगों के आवास पूर्ण न हो पाने के कारण इस बारिश भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
दमोह शहरी नगर पालिका में कुल 5 हजार 94 लोगों के आवास पूर्ण नहीं हुए हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 9 हजार 500 लोगों के आवास की किस्ते न आने के कारण आवास आधे अधूरे हैं।
प्रधानमंत्री आवास शहरी व ग्रामीण दोनों के तहत जैसे ही लोगों के प्रकरण स्वीकृत हुए और पहली किस्त आई तो लोगों ने अपने पुराने कच्चे मकान बनाकर पक्के मकानों को बनाना शुरू कर दिया था।
नगर पालिका दमोह में 1014 हितग्राहियों की पहली, 2600 हितग्राहियों की दूसरी व 1480 लोगों की तीसरी किस्त नहीं आई है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 9500 लोगों की किस्तें अटकने से आधे अधूरे आवास हैं।
बारिश में होती है समस्या
शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जिन्होंने अपने मकान तोड़कर पक्के मकान बनाना शुरू किए हैं। उन सभी को बारिश के दिनों में खासी परेशानी हो रही है। कुछ लोग किराए के मकानों में रह रहे हैं। कुछ वहीं पास में बल्लियों के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं। अधबना मकान होने के कारण बारिश मुसीबतों में गुजर रही है। समस्याएं जस की तस नहीं है।
रहने झोपड़ी भी नहीं फिर नहीं मिला आवास
दमोह जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर मनमानी भी सामने आती है। इस योजना का लक्ष्य था कि जिनके आवास नहीं है, पहले उन्हें आवास आंवटित किए जाएं, लेकिन जिम्मेदारो की मनमानी के चलते जिनको झोपड़ी नहीं है, उन्हें आवास स्वीकृत नहीं हुए हैं। बटियागढ़ जनपद की ग्राम पंचायत हारट के गांव सगौनी व भरोटा गांव के लोग आवास योजना से वंचित हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2011 की सूची में गड़बड़ी कर पात्रों को दर किनार किया गया और अपात्रों को आवास उपलब्ध करा दिए गए। अब इन्हें 2021 के सर्वे का इंतजार करना पड़ेगा तब जाकर इनके आवास स्वीकृत हो पाएंगे।
निसर्ग व मानसूनी बारिश में ढहे मकान
ग्राम पंचायत हारट के सगौनी गांव में कई परिवार हैं, जिनके कच्चे आवास बारिश के कारण ढह गए हैं। जो इधर-उधर सिर छुपाए हुए हैं। गांव के डोमन अहिरवार, गोकल अहिरवार, सौरभ दुबे, पप्पू ठाकुर, लाल सिंह, मुन्ना, थनु, विष्णु दुबे, दिनेश के मकान बारिश में ढह गए हैं। जिनके पास सिर छुपाने आशियाने भी नहीं हैं।