मुनि ने कहा कि हम अपने को सौभाग्यशाली मानते हैं कि अतिशय क्षेत्र थूबोनजी में आचार्यश्री जैसे महान संत के प्रथम दर्शन हुए और मंदिर नम्बर छः: में हमने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का संकल्प लिया। मुनि शैल सागर महाराज ने कहा कि पिछली बार भी हम पांच साधुओं का संघ थूबोनजी आया था। तब मुनिश्री प्रसाद सागर महाराज ससंघ थे। तीर्थ क्षेत्र पर विवाह आदि को संस्कारों से जोड़ जाना चाहिए।
हमारी हर क्रिया दया और विचारों में अहिंसा होना चाहिए तब ही हम दया धर्म का पालन कर सकेंगे। थूबोन कमेटी के प्रचार मंत्री विजय धुर्रा ने बताया कि संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के कर कमलों से 23 वर्ष पूर्व 22 अप्रेल 1999 को मुनिश्री अजित सागर महाराज, पूज्य सागरजी महाराज, मुनि नेमीसागर सहित 23 मुनिराजों ने नेमावर तीर्थ में जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण की थी। इस दौरान मुनिश्री नेमिसागर महाराज का 24वां दीक्षा दिवस मनाया गया। कमेटी के महामंत्री विपिन सिंघई ने बताया कि मुनिश्री अक्षय सागरमहाराज ससंघ के मुनि नेमिसागर महाराज तीर्थ क्षेत्र पर आज हमें दीक्षा दिवस मनाने का सौभाग्य मिल रहा है।
जगत कल्याण की कामना से की शांतिधारा-
शुक्रवार प्रात: मुनिसंघ के सान्निध्य में थूवोनजी के खड़े बाबा आदिनाथ भगवान का महामस्तिष्काभिषेक किया गया तथा जगत कल्याण की कामना के लिए मुनि अक्षय सागरजी महाराज के श्री मुख से विशेष मंत्रों के साथ जगत कल्याण की कामना के लिए महा शान्ति धारा की गई।
इसका सौभाग्य अरविंद कुमार, अंकित कुमार, अनिल कुमार जैन, अंशुल जैन,जीवन कुमार सौरव कुमार चंदेरी, गुलाब चंद, गगन कुमार टरका, श्रेयांश जैन,शैलेन्द्र दददा, प्रदीप जैन रानी सहित अन्य भक्तों को मिला। क्या है महत्व: शास्त्रों के अनुसार आज ही के दिन भगवान कृष्ण और सुदामा का मिलन हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही महषि वेदव्यास ने महाभारत लिखना शुरू किया था।