बाघ बाघिन के मध्य आकर्षण बढ़ते ही बाड़े से रिलीव कर दी जाएगी बाघिन
नौरादेही अभयारण्य में बढ़ेगा बाघों का कुनबा

दमोह/ तेंदूखेड़ा. बांधवगढ़ से लाए गए साढ़े चार वर्षीय बाघ को अब नौरादेही अभयारण्य भरपूर रास आ रहा है। किशन नामक इस बाघ द्वारा अभयारण्य में भरपूर शिकार किया जा रहा है। जहां बाघ ने अपनी भूख वन्य प्राणियों को शिकार बनाकर पूरी की, वहीं कुछ वनांचल के मवेशियों को भी बाघ ने अपना शिकार बनाया है। अभयारण्य के अधिकारियों के अनुसार क्षेत्र में भरपूर शिकार मौजूद है जिससे बाघ को अपनी भूख मिटाने में परेशानी नहीं जा रही है। अधिकारियों की माने तो अब यह व्यस्क बाघ कम समय के भीतर ही अभयारण्य के धरातलीय, भौतिक व जलवायु से घुल मिल गया है। वहीं अभयारण्य के बाड़े में मौजूद बाघिन को शीघ्र ही बाघिन से मिलाने की तैयारियां की जा रहीं हैं।
०५ मई को पहनाई गई कॉलर आईडी
अभयारण्य डीएफओ रमेशचंद्र विश्वकर्मा ने बताया है कि बाड़ा तोड़कर भागने के बाद बाघ की तलाश कर ली गई थी और बाघ पर सतत मॉनीटिरिंग करने के लिए ०५ मई को उसके गले में कॉलर आईडी पहनाई गई है। कॉलर आईडी पहनाए जाने के बाद बाघ को पुन: अभयारण्य में छोड़ दिया गया है। नर बाघ पर नजर रखी जा रही है वह अभयारण्य में सुरक्षित है।
कॉलर आईडी से दो तरह की मदद
डीएफओ रमेशचंद्र ने बताया कि बाघ के गले में धारित कॉलर आईडी दो तरह से मॉनीटिरिंग में मददगार है। एक प्रकार सेटेलाइट जीपीएस के माध्यम से बाघ पर नजर रखने में मदद कर रहा है। वहीं दूसरी वीएचएफ के माध्यम से मॉनीटिरिंग की जा रही है। जिस प्वाइंट पर बाघ को छोड़ा गया था उस प्वाइंट के आसपास १० से १५ किलोमीटर पर ही बाघ चहलकदमी कर रहा है।
भरपूर मिल रहा शिकार
बताया गया है कि बाघ अपने भोजन के लिए भरपूर शिकार कर रहा है। हाल ही में एक बैल को भी बाघ ने अपना शिकार बना लिया था। इसके अलावा शाकाहारी अन्य जानवरों को भी अपना रैग्युलर भोजन बना रहा है। रमेशचंद्र ने जानकारी दी है कि अभयारण्य में हुए गांवों के विस्थापन के बाद अभयारण्य में शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या बढऩे लगी है जिससे बाघ को भोजन की कमी नहीं हो सकेगी। वहीं उन्होंने बताया कि भोजन के लिए दूसरा फेरल केटर है, इसके तहत वह जानवर जो गांव वालों ने अनुपयोगी होने की वजह से छोड़ दिए थे वह भी अभयारण्य में हैं।
आकर्षण बढऩे पर छोड़ा जाएगा बाघिन को
नौरादेही अभयारण्य में बांधवगढ़ से बाघ आने के पहले कान्हा नेशनल पार्क से ढाई वर्षीय बाघिन को लाया गया था। यह बाघिन आने के बाद अभी तक बाड़े में ही है। इसके विषय में डीएफओ ने बताया है कि बाघ और बाघिन के बीच आकर्षण बढऩे के बाद विशेषज्ञों की राय पर बाघिन को भी रिलीव कर दिया जाएगा। बाघिन को छोडऩे के पहले इसे भी कॉलर आईडी पहनाई जाएगी।
जंगल में जाने से डर रहे लोग
खुले में व्यस्क बाघ के विचरण करने की जानकारी से अभयारण्य के आसपास के लोग वाकिफ हैं। बताया गया है कि बाघ के जंगल में होने की वजह से लोग जंगल में घुसने से कतरा रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अभयारण्य में अवैध कटाई व अवैध उत्खनन की घटनाओं में भी बाघ की मौजूदगी की वजह से कमी आ गई है और आगे भी इसका भरपूर लाभ विभाग को होगा।
वर्जन
हमारे नर व्यस्क बाघ पर हर प्रकार से नजर रखी जा रही है, अभयारण्य में शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या अब बढऩे लगी है, बाघ की मौजूदगी से काफी फायदे होते हैं।
रमेशचंद्र विश्वकर्मा, नौरादेही डीएफओ
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