आपके ह्दय को झकझोर देगी यह खबर- पैसा नहीं होने पर 4 साल की नातिन का शव कंधे पर रखकर 5 किलोमीटर पैदल चले दादा दादी
जिला अस्पताल दमोह के बाद बकस्वाहा में भी नहीं मिली मदद
दमोह
Published: June 09, 2022 04:47:30 pm
दमोह. पैसा न होने की वजह से एक वृद्ध दादा दादी को अपनी चार साल की नातिन का शव कंधे पर रखकर पांच किमी पैदल चलना पड़ा। कंधे पर शव रखकर पैदल चलने की घटना एक ही दिन में इनके साथ दो बार हुई। पहले जिला अस्पताल दमोह से वह मासूम बालिका का शव कंधे पर रखकर पैदल बस स्टैंड तक गए और जब बस से मासूम नातिन का शव लेकर छतरपुर जिले के बकस्वाहा पहुंचे, तो बकस्वाहा से पौड़ी गांव तक शव को कंधे पर रखकर पांच किलोमीटर का सफर पूरा किया। इस दौरान मृतक बालिका का चाचा भी साथ था। कुछ दूर तक अपनी नातिन का शव दादा अपने कंधे से चिपकाए हुए चला, तो कुछ दूरी मृतका की दादी व चाचा ने तय की।
ह्दय को झकझोर देने वाली इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जो सरकारी दावों को आइना दिखा रहा है।
हर जरूरतमंद को नहीं मिलता शव वाहन
बता दें कि जिला अस्पताल में गरीब तबके के मरीज की मौत हो जाए, तो उसके शव को घर तक पहुंचाने के लिए रेडक्रास सोसायटी का शव वाहन की व्यवस्था है। लेकिन इस सुविधा का लाभ हर जरूरतमंद को नहीं मिलता है, जो इस घटना में सामने आ गया है। मृतक बालिका राधा पिता लक्ष्मन अहिरवार ४ की ०६ जून की सुबह उपचार के दौरान मौत हो गई थी। जैसे ही बालिका ने दम तोड़ा, तो वार्डबॉय ने शव को वार्ड से बाहर कर दिया और मौके पर मौजूद मृतक बालिका के परिजनों से शव ले जाने के लिए कह दिया। लेकिन मासूम बालिका के परिजनों के पास एक पैसा भी नहीं था, ऐसे में यह लोग शव ले जाने के लिए प्राइवेट एंबूलेंस नहीं कर सके। परिजन शव लेकर जिला अस्पताल के ठीक सामने मानसभवन परिसर में जाकर बैठ गए और शव को कंबल से ढांक लिया। इस दौरान यहां से दर्जनों लोग निकले, लेकिन कोई यह नहीं समझ पाया कि कंबल से बालिका का शव ढका है, जिसके घर तक पहुंचने में गरीबी आड़े आ रही है। तीन से चार घंटे हो जाने पर कुछ लोगों ने मौके पर बैठी वृद्धा से बात की, तो उसने अपनी परेशानी बताई। जिन लोगों से परिजनों ने बात की, उन्होंने शव को बस से ले जाने का कहा और बस की टिकट के लायक पैसे दे दिए। इसके बाद बालिका का दादा शव को कंधे पर रखकर बस स्टैंड पहुंचा और बकस्वाहा जाने वाली बस में बैठ गया। यहां लोगों ने समझा की बालिका सो रही है और किसी ने कुछ नहीं कहा। इधर शव लेकर जब परिजन बकस्वाहा पहुंचे, तो पौड़ी गांव तक पहुंचने का बाकी सफर पैदल तय किया।

नातिन का शव कंधे पर
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