दमोह के खली के नाम से प्रसिद्ध हो चुके बजरंग अखाड़े के बद्री विश्वकर्मा की प्रतिभा का सफर जिले के बाहर वर्ष 2004 में शुरु हुआ था, यह सबसे पहले 2004 में शॉबाश इंडिया में शामिल हुए थे, इसके बाद कई महानगरों में आयोजित होने वाले शो में इन्होंने भाग लिया। वर्ष 2014 व 2016 में दो बार इन्होंने इंडिया गॉट टेलेंट में अपनी प्रतिभा दिखाई, इसके बाद वर्ष 2015 में कोची उग्रम उज्जवलम् शो में शामिल हुए, इसी वर्ष जी तेलगू हैदराबाद शो में शामिल हुए, वहीं वर्ष 2016 में चैन्नई के एसआरनो सूर्या टीवी शो में शामिल हुए।
अमेरिका जाने में पैसों का रोड़ा जांबाज बद्री विश्वकर्मा को अपनी जान दाव पर लगाने के बाद दिखाए गए स्टंटों से नाम व वाह-वाही तो भरपूर मिली, लेकिन इससे इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो सका, बटियागढ़ में बद्री विश्वकर्मा अपनी पुस्तैनी लोहे को पिघलाकर औजार तैयार करने की दुकान पर कार्य करते हैं। लुहारगिरी से जो पैसा मिलता है इससे इनके परिवार का भरण पोषण तो अच्छे से हो जाता है पर अमेरिका तक जाने के लिए पैसों की कमी रोड़ा बनकर सामने आ चुकी है। ब्रदी का कहना है कि मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि मैं अमेरिका जाकर अपनी प्रतिभा के जरिए जिले व देश का नाम रोशन कर सकूं, कोई मदद ही मुझे वहां तक पहुंचा सकती है, मैंने अपने गांव के अखाड़े में सब कुछ सीखा है, मैं लुहार का कार्य करता हूं, खतरनाक स्टंट दिखाना मेरा जुनून है और यही मेरी प्रतिभा है।