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संदेश- रात १२ बजते ही सड़कों पर निकल जाते हैं दो युवा फिर करते हैं यह नेक काम, आप भी जानिए हकीकत

locationदमोहPublished: Sep 03, 2019 11:29:39 pm

Submitted by:

lamikant tiwari

एक इंसान और जानवर की एक साथ बचाते हैं जान

damoh

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दमोह. रात १२ बजे बजते ही शहर के मुख्य मार्गों व बाइपास सड़कों पर आपको दो युवा दिखाई देंगे। यह दोनों युवा सड़क पर बैठे हुए मवेशियों के पास दिखाई देंगे। फोटो की चमक ओर कैमरे से दूरी बनाकर नेक काम करते जब पत्रिका ने उन्हें देखा तो अपने कैमरे में कैद कर लिया। यह युवा बीच सड़क पर बैठे रहने वाले मवेशियों के सींगों में रेडियम लगाने का कार्य कर रहे हैं। युवाओं द्वारा यह पिछले एक पखवाड़े से लगातार कार्य किया जा रहा है। जिसमें लगातार होने वाली वाहन दुर्घटनाओं में वाहन चालकों के साथ मवेशियों की मौत होने को लेकर वह चिंतित हुए और उन्होंने स्वयं ही रेडियम का बिंडल खरीदकर स्वयं ही जाकर रेडियम लगाना शुरू कर दिया।
मुख्य मार्ग पर बैठे थे मवेशी –
शहर के सेंट्रल स्कूल समीप मुख्य मार्ग पर बड़ी तादाद में मवेशी बैठे हुए थे। इसी मार्ग पर सोमवार रात सवा बारह बजे शहर में ही रहने वाले ऋषभ अग्रवाल व नीरज सैनी मवेशियों को सींगों में रेडियम लगाते दिखाई दिए। जिन्होंने बताया कि वह नियमितरूप से आवारा मवेशी जो सड़कों पर बैठे रहते हैं उनकी जान बचाने के साथ होने वाली वाहन दुर्घटनाओं में व्यक्ति की जान बचाने का कार्य कर रहे हैं। वह नियमितरूप से रात १२ बजे के बाद सड़कों पर निकलकर रेडियम लगाने का कार्य करते हैं।
१५ दिन में लगाए ३०० मवेशियों को रेडियम-
ऋषभ ने बताया कि वह हर दिन रात १२ बजे अपने मिश्र नीरज सैनी के साथ कार उठाकर बाइपास मार्गों के साथ शहर के मुख्य मार्गों पर निकल जाते हैं। जो यहां मिलने वाले मवेशियों के सींगों में रेडियम लगाने के बाद आगे बढ़ जाते हैं। यह कार्य पिछले करीब १५ दिन से कर रहे हैं। जिन्होंने इसी बीच लगभग ३०० से अधिक मवेशियों में गाय, भैंस, बछड़ेे व बैल को रेडियम लगाने का कार्य किया है। इस कार्य को करने के लिए वह नियमित एक घंटे का समय निकालते हैं। उनका कहना है कि मवेशी के मिलने पर यदि वह खड़ा रहता है तो वह उसे रेडियम नहीं लगाते। जो मवेशी बैठे मिलते हैं वह केवल उसे ही रेडियम लगाते हुए आगे बढ़ जाते हैं। क्योंकि अगर वह खड़े हुए मवेशी को रेडियम लगाने की कोशिश करते हैं तो ऐसे में वह हमलावर हो जाता है। इसलिए खुद की जान की सुरक्षा भी करते हैं।
पत्रिका से हुए जागरुक –
ऋषभ अग्रवाल व नीरज सैनी ने बताया कि वह पत्रिका के नियमित पाठक हैं। जो अखबार में आए दिन मवेशियों से टकराने पर होने वाली घटनाओं की खबरें पढ़ते हैं। जिसमें मवेशियों के साथ वाहन चालकों की मौत होने के कई मामले जब सामने आए तो उन्होंने आवारा पशुओं की जान बचाने के साथ वाहन चालकों को दूर से मवेशी दिखाई दे सकें। इसके लिए उन्होंने हर दिन एक घंटे देने का निश्चय किया और फिर अभियान बनाकर उसमें समर्पित हो गए।
दो दिन पूर्व हुई थी मौत-
युवाओं ने बताया कि उन्हें बहुत दुख हुआ था जब नरसिंहगढ़ मार्ग पर मवेशी से टकराने पर प्रशांत श्रीधर की मौत की खबर मिली थी। इसके अलावा उसी दिन घंटाघर से बसस्टैंड जाने वाले मार्ग पर एवरेस्ट लॉज के समीप एक मवेशी से एक युवक टकराने के बाद गंभीररूप से घायल हो गया था। जिसे फ्रै क्चर होने के पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
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