scriptभैरव अष्टमी पर भैरव जी का विशेष पूजन | Bhairav Ashtami: Special worship of Bhairav ji | Patrika News

भैरव अष्टमी पर भैरव जी का विशेष पूजन

locationदमोहPublished: Nov 20, 2019 06:44:08 pm

Submitted by:

Samved Jain

भैरव अष्टमी: पर भैरव जी का विशेष पूजन

भैरव अष्टमी पर भैरव जी का विशेष पूजन

भैरव अष्टमी पर भैरव जी का विशेष पूजन

दमोह. श्रीदेव जागेश्वर नाथ मंदिर परिसर स्थित भैरव मंदिर में सोमवार को काल भैरव अष्टमी के अवसर पर विशेष पूजन किया गया।


मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक पंडित रामकृपाल पाठक ने बताया कि मंदिर परिसर में कई वर्षों से भैरव मंदिर स्थित है। भैरव जी को भोलेनाथ जी का स्वरूप माना जाता है। मंदिर के पुजारी व संस्कृ विद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा मंत्रोचार के बीच पूजा की गई। संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य पं. कुंजीलाल डिम्हा, मदन तिवारी, सीतू पंडा के द्वारा पूजन किया गया। काल भैरव अष्टमी पूजन एक विशेष प्रकार का पूजन होता है।
इसमें मान्यता होती है जिस प्रकार वाराणसी में भैरव जी को काशी का कोतवाल कहा जाता है, उसी प्रकार श्रीदेव जागेश्वर नाथ धाम के कोतवाल के रूप में भैरव जी का पूजन किया जाता है। भैरव जी का पूजन करने से समस्त प्रकार की आधिव्याधि दूर हो जाती है। सभी प्रकार के शत्रुओं का शमन होता है। इसलिए सभी को चाहिए कि वह भोलेनाथ जी, माता पार्वती के दर्शनों के साथ साथ भैरव दर्शन पूजन भी विशेष रूप से करें।
शिवपुराण के अनुसार कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यान्ह में भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी, अत: इस तिथि को काल-भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार अंधकासुर नामक दैत्य अपने कृत्यों से अनीति व अत्याचार की सीमाएं पार कर रहा था, यहां तक कि एक बार घमंड में चूर होकर वह भगवान शिव तक के ऊपर आक्रमण करने का दुस्साहस कर बैठा। तब उसके संहार के लिए शिव के रुधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई थी।

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