जिम्मेदार यह बता रहे कारण
बीएसएनएल के जिला अभियंता अजय दुबे का कहना है कि शहर में करीब २० किमी की लाइन बिछी हुई है। यह काफी पुरानी लाइन है और जगह जगह से जर्जर हो चुकी है। उन्होंने बताया कि कॉपर लाइन होने की वजह से उसमें बार बार सुधार किया जाता है। लेकिन दोबारा कॉपर लाइन नहीं बदली जा सकती, क्योंकि विभाग द्वारा यह लाइन बंद कर दी गई है। इसके अलावा इस मामले की पड़ताल करने पर यह भी सामने आया है कि जब उपभोक्ता को नेटवर्क नहीं मिलने पर परेशानियां होती है तो उसका सुधार कार्य भी समय से नहीं हो पाता है। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए है जिनमें फॉल्ट तलाशने में कर्मचारियों को कई दिन लग जाते हैं और उपभोक्ताओं को कार्य प्रभावित होने की वजह से परेशानियां उठानी पड़ रहीं हैं।
सात हजार से घटकर दो हजार हुई संख्या
जिला अभियंता द्वारा बताया गया है कि लैंड लाइन कनेक्शनधारियों की संख्या में कमी आई है। दुबे द्वारा बताया गया है कि लगभग पांच साल पहले जिले उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 7000 थी जो घटकर 2000 के करीब शेष बची है। उन्होंने बताया है कि लैंड लाइन फोन कनेक्शनधारी की संख्या कुछ जिलों की अपेक्षा संतोष जनक है। इसके अलावा ब्राडबैंड कनेक्शनधारी करीब 700 उपभोक्ता हैं। इनमें शहर में करीब 500 से अधिक उपभोक्ता हैं।
लाइन में खराबी आते ही उपभोक्ताओं से कंपनी कर्मचारियों द्वारा यह कहा जा रहा है कि वह करीब ३५०० रुपए खर्च कर फाइवर लाइन का कनेक्शन लेवें तभी समस्या का समाधान हो सकता है। इस संबंध में जिला अभियंता कहते हैं कि फाइवर कनेक्शन में उपभोक्ताओं को बार बार होने वालीं परेशानियां का सामना नहीं करना पड़ेगा। लेकिन इस मामले में पत्रिका द्वारा की गई पड़ताल से यह बात भी सामने आई है कि अधिकारी कर्मचारी शहर में काम कर रहीं दो निजी एजेंसियों को इस तरह लाभ पहुंचाने का भी प्रयास कर रहे हैं।
मिलता है 40 से 45 प्रतिशत कमीशन
सुधार के नाम पर विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा उपभोक्ताओं से कही जा रही फाइवर कनेक्शन लेने की बात की एक हकीकत यह भी है कि ऐसा होने पर विभागीय कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी से विरक्त हो जाएंगे। साथ ही निजी कंपनियों द्वारा कनेक्शन देने से उन्हें कनेक्शनधारी के बिल की राशि से 40 से 45 प्रतिशत कमीशन की राशि बिल भुगतान पर तत्काल मिल जाएगी। साथ ही कंपनी से हुए बीएसएनएल के अनुबंध में यह बात भी शामिल है कि फाइवर लाइन उपभोक्ता तक पहुंचाने, मोडम लगाने साथ ही देखरेख करने की जिम्मेदारी निजी कंपनी की होगी। इससे बीएसएनएल के कर्मचारियों को फायदा यह होगा कि उन्हें फील्ड पर जाने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी और उन्हें मुफ्त का वेतन मिलता रहेगा। यही कारण है कि फाइवर कनेक्शन पर जोर अधिक दिया जा रहा है। पत्रिका द्वारा एक मामले में बीएसएनएल के एसडीओ नीरज सोनी, फील्ड अधिकारी अहमद खान से उपभोक्ता के कनेक्शन सुधार में आ रही परेशानी व फाइवर कनेक्शन लिए जाने के जोर देने पर कहा गया कि अधिकारी यह लिखकर दें कि कॉपर लाइन में सुधार नहीं हो सकता है इसलिए फाइवर कनेक्शन लिया जाए। लेकिन इस पर वह तैयार नहीं हुए।