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बसों की साल भर की कमाई का सीजन भी लॉकडाउन में बीता

locationदमोहPublished: Apr 24, 2020 10:43:38 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

चार साल तक नहीं उबर पाएंगे बस मालिक

Buses' year-round earnings season also ended in lockdown

Buses’ year-round earnings season also ended in lockdown

दमोह. निजी बस मालिक को जहां लॉकडाउन में आमदनी नहीं हो रही है, वहीं जिनकी बसें फाइनेंस मुक्त हैं उन्हें एक हजार रुपए दिन और जिनकी बसें फाइनेंस हैं उन्हें 3 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से खर्च जेब से लग रहा है। प्रत्येक बस मालिक साल भर में सर्वाधिक मुनाफा ग्रीष्मकालीन वैवाहिक सीजन में अर्जित करता था, यह मुनाफा भी चला गया है। जिससे बस मालिकों के अंदर का दर्द बाहर आ रहा है।
शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र के बस मालिकों में चर्चा में यह मुख्य बात सामने आई है कि प्रत्येक बस की दिन भर की कमाई सभी खर्चे काटकर एक हजार रुपए से लेकर 1500 रुपए के बीच होती है। कभी भी खाली बसें चलने यह आमदनी नुकसान में भी चली जाती है। सभी बस मालिक साल के आठ माहों में होने वाले नफा-नुकसान की भरपाई गर्मियों में वैवाहिक सीजन में कर लेते थे। जिससे उनकी सभी समस्याएं दूर हो जाती थी, लेकिन वैवाहिक सीजन भी बसों के पहिए थमे हैं। कई मोटर मालिक कहते हैं कि लॉक डाउन का टूटा बस मालिक अगले चार साल तक नहीं उबर पाएगा। जिनकी बसें फाइनेंस हैं उनको 10 साल फिर से उबरने में लगेंगे। कोरोना के कहर से सबसे ज्यादा गहरा आघात बस मालिकों पर ही पड़ा है।
प्रतिदिन हजार रुपए का खर्च
बस मालिक नवीन जैन इमलीवाला बताते हैं कि वह बीमा, टैक्स, प्रदूषण सभी एडवांस में जमा करा चुके हैं। यह सभी घट रहे हैं, जिससे प्रत्येक मोटर मालिक को एक बस में 500 रुपए के हिसाब से यह नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा बस का स्टाफ जो दिन मजदूरी पर कार्यरत रहता है, उसे मजदूरी तो नहीं दे रहे हैं, लेकिन प्रत्येक मोटर मालिक रोज मदद कर रहा है। जिससे प्रत्येक मोटर मालिक को एक हजार रुपए प्रतिदिन का खर्चा करना पड़ रहा है। इसके अलावा जिन्होंनें बसें फाइनेंस कराई है उन्हें 3 हजार से 4 हजार रुपए प्रतिदन के हिसाब से खर्च करना पड़ रहा है।
आगे बसें नहीं चला पाएंगे
मोटर मालिकों का कहना है कि लॉक डाउन खुलने के बाद शासन की नई गाइड लाइन आ रही है। जिसमें एक सीट में एक सवारी बैठानी पड़ेगी, लेकिन इस नियम में अधिकांश बस मालिक अपनी बसें नहीं चला पाएंगे, क्योंकि टैक्स व अन्य खर्चे सरकार उनसे पूरा लेगी, लेकिन इससे बस मालिक अपना खर्चा भी नहीं निकल पाएंगे। जिससे नई गाइड लाइन में अनेक बस मालिक अपनी बसों का संचालन नहीं कर पाएंगे और उनकी कमर टूट जाएगी।
लॉक डाउन में डेढ़ करोड़ का नुकसान
दमोह 350 बसें संचालित हैं। प्रतिदिन इन बसों की आमदनी 5 लाख रुपए होती है। जिस हिसाब से 32 दिन के लॉक डाउन में 1 करोड़ 68 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है।
ड्राइवर व कंडक्टर आर्थिक तंगी का शिकार
बसों को संचालित करने में अहम भूमिका निभाने वाले ड्राइवर व कंडक्टर आर्थिक बदहाली का शिकार हो गए हैं। यह सभी दिन मजदूरी पर कार्य करते हैं। इनकी 32 दिनों की मजदूरी का हर्जा हुआ। इन्हें किसी प्रकार की मदद भी नहीं दी गई है। जिला यूनियन चालक परिचालक संघ के अध्यक्ष नन्नू पटेल ने सीएम को ज्ञापन भेजकर मदद की गुहार लगाई है। इनका कहना है कि उनकी जमा पूंजी भी खर्च हो चुकी है। अनेक परिवार आर्थिक तंगहाली का शिकार हो चुके हैं।
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