नगरीय निकाय चुनाव में उतरे चेंजमेकर्स बदलाव के नायक
दमोहPublished: Jun 27, 2022 10:48:00 am
दलगत नहीं प्रत्याशी का व्यक्तित्व देख रहे मतदाता
Changemakers came in the urban body elections, the heroes of change
दमोह. 2018 विधानसभा उपचुनाव के पहले पत्रिका ने चेंजमेकर महाअभियान बदलाव के नायक चलाया था, जिसमें स्वच्छ छवि के लोगों को राजनीति में प्रेरित किया था। इस महाअभियान में दमोह ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था और दमोह ने पूरे मप्र में वोटिंग के मामले पहला स्थान अर्जित किया था। उस दौरान बड़ी संख्या में चेंजमेकर्स मैदान में उतरे थे, इनके वालंटियर्स भी बने थे। जिन्होंने प्रत्याशी की स्वच्छ छवि की पैरोकारी करते हुए अपराधिक छवि व भ्रष्टाचारी छवि का विरोध किया था। राजनीति को स्वच्छ करने के लिए जो संकल्प चेंजमेकर अभियान में लिए गए थे, वह इस बार के नगरीय व पंचायत चुनाव में साकार होते दिखाई दे रहे हैं।
पहले हम दमोह नगर पालिका परिषद के 39 वार्डों की बात करें तो दमोह में चेंजमेकर बदलाव के नायक अभियान की शुरुआत यही से हुई थी। वर्तमान में इस अभियान में शामिल 6 युवा जिन्हें अच्छी खासी वोटिंग मिली थी, उनमें से 4 नगर पालिका परिषद दमोह के पार्षद पद के लिए मैदान में है, दो ने अपनी पत्नियों को मैदान में उतारा है और दो युवा स्वयं मैदान में हैं। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में दो युवाओं की पत्नियां जिला पंचायत सदस्य के चुनाव मैदान में हैं। इस तरह इन युवाओं ने स्वयं मैदान में उतरकर राजनीति को स्वच्छ करने का कदम उठा लिया है।
अब हाइफाई नहीं सर्व सुलभ पार्षद
पत्रिका ने 39 वार्डों में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की स्थिति पर फोकस किया तो अधिकांश चेंजमेकर्स बदलाव के नायक हाइ-फाइ न होकर मिलनसार हैं। पढ़े, लिखे हैं, छोटे काम धंधों में लगे हैं। लोगों के काम आते रहे हैं, पहली बार ऐसे सामान्य घरों से युवा मैदान में है, जिन्होंने अपनी पूरी जवानी झंडा, डंडा उठाने के साथ लोगों की मदद करने में लगा दी और राजनीतिक विलासता के बजाए सामाजिक समरसता के तहत केवल सेवा की है। जिससे इस बार का चुनाव दलगत न होकर व्यक्तित्व छवि पर टिक गया है।
वालंटियर्स यानि मतदाता कर रहे आंकलन
चेंजमेकर्स अभियान के तहत कई बैठकें हुईं थीं, जिसमें कई तरह की बातें समाने आईं थीं, इस बार मतदाता भी चेंजमेकर बदलाव के नायक को चुनने के लिए आंकलन कर रही है। वह आंकलन इस तरह हो रहा है कि जिन्होंने पिछले 10 सालों में किस तरह कमाई की है, जिनके घर साइकिल भी नहीं थी वह आज लक्जरी कार में मतदाताओं के पास पहुंच रहे हैं। जो पहले प्योर राजनीतिक दंभी थे ठीक से बात भी नहीं करते थे और सत्ता मद सिर पर चढ़ा था, ऐसे प्रत्याशी अब मैदान में आए हैं तो मतदाता उनसे किनारा करते हुए ऐसे प्रत्याशी की तलाश कर रहे हैं, जो स्वच्छ कमाई से जीवन यापन कर रहा है, जिसे अपनी कमाई का जरा भी घमंड नहीं है। जो सत्ता मिलने पर अभिमान नहीं करेगा। बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने में कमीशनबाजी करने के बजाए गुणवत्ता युक्त कार्य कराएगा। सुख-दुख में वार्ड के लोगों से समान व्यवहार रखेगा, ऐसे प्रत्याशी का चुनाव करने की चाह रखे हुए हैं। जिससे इस बार वार्डों में स्वच्छ छवि के महानायकों के मैदान में आने से लोग दलगत के बजाए व्यक्तित्व पर फोकस कर रहे हैं।
पार्टियों ने भी छवि का रखा ध्यान
कांग्रेस, भाजपा, आम आदमी पार्टी ने इस बार टिकट वितरण में पूरी कोशिश की है कि स्वच्छ छवि को टिकट दी जाए, इस बार स्वच्छ छवि को टिकट दिए जाने के कारण ही दोनों दलों में बगावत भी हो रही है। दमोह में इस बार राजनीतिक दलों ने स्वच्छ छवि को राजनीतिक मैदान में स्थापित करने के लिए चुनाव के बाद नफा, नुकसान को नहीं देखा है। जिससे यह माना जा रहा है कि 4 साल पहले पत्रिका चेंजमेकर बदलाव के नायक महाअभियान का असर अब राजनीतिक मैदान में दिखाई दे रहा है।
स्वच्छ छवि पर बहुकोणीय मुकाबला
इस बार के चुनाव में एक खासबात यह है कि कई वार्डों में अधिक प्रत्याशी होने से स्वच्छ छवि में ही बहुकोणीय मुकाबला टिक रहा है। जिसमें प्रति स्पर्धा दिखाई दे रही है। इस बार वार्डों में व्यवहारिक और मिलनसार छवि के प्रत्याशियों की लाइन लगी है जो मतदाताओं की नजर में उनके लिए सबसे बड़ा मददगार व स्वच्छ छवि और ईमानदार होगा वही उनके वार्ड से पार्षद चुन लिया जाएगा।