चौपाल में बिखेरे संस्कृति की रंग
दमोहPublished: Oct 21, 2019 11:17:05 pm
ग्राम मेलवारा के कलाकारों ने किया आयोजन
Color of culture scattered in Chaupal
खड़ेरी. वर्तमान समय में बुंदेलखंड की संस्कृति पतन की ओर जा रही है । क्योंकि बहुत कलाओं के कलाकार या तो बुजुर्ग हो गए या रहे नहीं। समय के साथ-साथ लोक कलाएं भी अपने पतन की ओर जा रही हैं। इस पहल को प्रमुखता देते हुए ग्राम मेलवारा के किसान कलाकारों ने किसान रंग रंग चौपाल का आयोजन करने का निश्चय किया है। इसके तहत माह के प्रत्येक रविवार को गांव के सभी लोग मिलकर एक चौपाल यानी मंच पर मिलकर अपने विचार सांझा करेंगे जिसके तहत सभी लोग मिलकर गीत कहानी किससे कहावतें नकल लोक, नृत्य, गीत, संगीत, वाद्य यंत्र वादन इत्यादि की प्रस्तुति करेंगे। जिसमें प्रत्येक कलाकार को प्रथम आने पर उसका उत्साह वर्धन के लिए पुरस्कृत भी किया जाएगा। इसमें गांव के आसपास के कलाकार भी अपना कला का प्रदर्शन कर सकते हैं।
बताया गया है कि इस आयोजन से एक तो कला के आदान.प्रदान से पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में प्रभावित होंगी। दूसरा पुरस्कृत कलाकार आगे बढ़े मंचो पर अपनी कला दिखाने का मौका मिलेगा साथ ही प्रत्येक रविवार को किसानों और ग्रामीणों को मंच मिलेगा। रविवार को इस मंच चौपाल की प्रथम प्रस्तुति दी गई थी। जिसमें लगभग 40 किसानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। जिसमें लगभग 8 किसानों ने मंच पर प्रस्तुति दी। मंच संचालन व प्रस्तुति संयोजन राघवेंद्र सिंह लोधी ने किया। सचिव विश्वनाथ पटेल ने बताया कि इस कार्यक्रम को निकट भविष्य में प्रत्येक गांव में आयोजित करने की योजना है। संस्था अध्यक्ष जितेंद्र पटेल ने बताया कि यदि सरकार मदद करती है तो निकट भविष्य में हम ऐसे कला व संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस चौपाल को क्रांति की तरह देख सकते हैं।
प्रस्तुति में संजू अहिरवार को प्रथम पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा मगन नामदेव किसान किसानी की लोक कथा को सुनाया। वहीं भीष्म बंसल ने चार बहरों की लोक कथा को सुनाया। कलाकार प्रहलाद, दुर्गाप्रसाद, राघवेन्द्र, दामोदर साहू, मुकेश पटैल, मुरली रैकवार, गोविंद, कीर्ति इत्यादि कलाकार व ग्रामीण किसान दर्शक शामिल थे।