पत्रिका टीम ने अलग-अलग क्षेत्र में स्थापित केंद्रों का जायजा बीते दिनों में कराया। सभी केंद्र पर नॉन एफएक्यू धान की ही खरीदी होना पाई गई। कुम्हारी, हिंडोरिया, समन्ना, हरदुआ मुडर, अभाना, किल्लाई, बनवार सहित अन्य समितियों के दौरा के दौरान धान की गुणवत्ता खराब देखने मिली। कई केंद्रों पर तो ऐसी धान भी तौल ली गई, जिसमें स्पष्ट देखने मिल रहा था कि धान में निर्माण मटेरियल मिलाकर लाया गया है। इतना ही नहीं एफएक्यू का ध्यान कहीं भी नहीं दिया जा रहा है। पत्रिका ने जब पड़ताल की तो पता चला कि सर्वेयर को इसके एवज में कुछ रुपए भी किसान दे रहे हैं। हालांकि, किसान खुलकर नहीं बोले, क्योंकि धान उनकी ही थी।
धान की गुणवत्ता की जिम्मेदारी आरबी ऐसासिएट कंपनी द्वारा रखे गए सर्वेयर की होती है। धान खरीदी केंद्र के अलावा गोदाम, वेयरहाउस में धान रखवाने के पहले भी सर्वेयर को धान की गुणवत्ता चेक करना होती है। इसके बाद ही वह धान को रखवा सकता है। यहां भी बिना कोई देखरेख और जांच के बाद धान का भंडारण करवाया जा रहा है। बीते दिनों बारिश में भीगी बोरियों को भी परिवहन करा दिया गया। साथ ही इसका भी भंडारण कुछ गोदामों में हो गया है।
नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक लक्ष्मण रजावत का कहना है कि समिति स्तर और गोदाम स्तर पर खरीदी चल रही है। हडम्बा क्यों नहीं कराया जा रहा है पता कराता हूं। धान में कचरा रहता है तो यह जरूरी है। केंद्र प्रभारी और सर्वेयर की जिम्मेदारी धान की गुणवत्ता की होती है। गोदाम स्तर पर जमा हुई धान की और केंद्रों पर पहुंचकर धान की जांच करा लेते हैं। नॉन एफएक्यू धान मिलती है तो सभी सर्वेयर हटाने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही कंपनी से भी जवाब लिया जाएगा।
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