दमोह

पापा के ऑफिस व दुकानों में पहुंची बेटियां, समझा और पूछा कैसे करते हैं वे काम

बेटी @ वर्क, बेटियों ने कहा कि पत्रिका की अच्छी पहल

दमोहSep 24, 2018 / 03:15 pm

Rajesh Kumar Pandey

Daughters understood as working in Papas offices and shops

दमोह. बेटी दिवस पर पत्रिका की पहल पर लोग अपनी बेटियों को अपने ऑफिस व दुकानों में लेकर पहुंचे। शहर के अलावा कस्बाई क्षेत्रों में भी बिटिया पापा के कार्यस्थल पहुंची और अपने पापा के वर्क को समझा।
23 सितंबर को वल्र्ड डॉटर्स डे मनाया गया, जिसे पत्रिका समूह बिटिया ञ्च वर्क सप्ताह के रूप में मना रहा है। जिसका शुभारंभ रविवार से किया गया है, जिसमें दमोह शहर के अलावा तहसील स्तर हटा व तेंदूखेड़ा में भी बेटियां इस अभियान में शामिल हुईं। जहां उनके पिताओं ने इसे सराहा, वहीं बेटियों ने भी कहा कि पत्रिका की पहल के कारण आज उन्हें अपने पापा का कार्य समझ में आया कि वह दिन भर क्या करते हैं। पत्रिका ऐसे सभी लोगों को प्रेरित कर रही है, कि वह भी अपनी बेटियों को कार्यस्थल पर लेकर पहुंचे और बेटियों को बराबरी का दर्जा दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
कैसे होता है जमीन का काम
दमोह तहसील कार्यालय में पदस्थ आरआई अभिषेक जैन की पुत्री मित्रा जैन अपने पिता के कार्यालय पहुंची। जहां उसने कृषि भूमि से संबंधित होने वाले कार्यों को समझा उसने एकड़ व हेक्टयर, सीमाकंन, बटवारा व नामांतरण के बारे में भी जाना। इसके अलावा हाइटेक हो चुके राजस्व विभाग व जिले के नक्शे को देखा। मित्रा जैन का कहना था कि उसे नहीं पता था कि उनके पिता का कार्य क्या है, आज उन्होंने इस बारे में बताया और उसे जरूरी जानकारियां दीं।
बेटी ने समझी जीवन पॉलिसी
भारतीय जीवन बीमा निगम के जिला विकास अधिकारी दीपक सिंघानिया ने पत्रिका की पहल पर रविवार को भी अपना कार्यालय खोला। उनकी बेटी टिया सिंघानिया ऑफिस पहुंची। टिया ने कहा कि रविवार को अवकाश होने पर पापा ने बिंदुबार अपने कार्य के बारे में समझाया, जिससे उसकी समझ में यह आया है कि जीवन निर्वाह के लिए व्यक्ति को एक बड़ी राशि की आवश्यकता पड़ती है, जो बचत खातों या पॉलिसी से ही जरूरत के समय काम आती है।
स्टेशनरी की बारीकी समझी
स्टेशनरी संचालक गनेश अग्रवाल की बेटी स्वस्ति अग्रवाल सुबह से ही अपने पापा की दुकान पर पहुंची। जिसने पूरे दिन भर हाथ बटाया। स्वस्ति ने कहा कि पापा की दुकान चलाने में उसने मदद की। कापी, किताबों, स्टेशनरी व अन्य वस्तुएं जिनकी जानकारी नहीं थी वह पापा ने दी।
ऑटो पार्टस के बारे में जाना
हटा निवासी सुनील पंडा अपनी पुत्री मानसी पंडा को ऑटो पार्टस की दुकान लेकर पहुंचे। मानसी ने बताया कि वाहनों में लगने वाले पाटर्स की कितनी जरूरत होती है, यह उसकी समझ में आया है। यदि एक छोटा सा नट-बोल्ट डिस्टर्व हो जाता है, तो पूरी गाड़ी का चलना बंद हो जाता है। अलग-अलग पार्टस की क्या अहमियत है, यह समझ में आया है। आज पत्रिका की वजह से उसे अपने पिता की दुकान में आने का मौका मिला है।
ऐसे बेचे जाते हैं कपड़े
जगदंबा गारमेंट हटा के संचालक अरुण गोस्वामी की पुत्री ओमी गोस्वामी भी अपने पापा की शॉप पर पहुंची। ओमी ने बताया कि कपड़ों में कई वैरायटी होती हैं, लेकिन सबसे अच्छा शॉपकीपर वह है, जो ग्राहक को उसकी खूबियां बता सके। यह हुनर पापा ने बताया। पत्रिका की पहल पर उसने दुकान संचालित की और कुछ कपड़े बेंचे।
बेटियों ने बंटाया पिता का हाथ
हटा निवासी प्रमोद सैनी अपना पुस्तैनी व्यवसाय स्वयं करते हैं, वह अपनी बेटियों को भागीदार नहीं बनाते थे। पत्रिका की पहल पर अपनी दोनों बेटियों के साथ अपने व्यवसाय के बारे में बताया। थोक व फुटकर में बेची जाने वाली फूल मालाओं की जानकारी दी। हंसिका सैनी व आरोही सैनी का कहना है कि आज उन्होंने अपने पिता के काम में हाथ बंटाया है। अब वह लगातार पिता के कार्य में सहयोग करेंगी।
कम्प्यूटर सेंटर पहुंची बेटी
तेंदूखेड़ा के सरैया कम्प्यूटर संचालक विनोद सरैया की पुत्री वैदेही सरैया अपने पिता के सेंटर पहुंची। जहां उसके पिता ने कम्प्यूटर पर कार्य करना बताया। वैदेही ने बताया कि उसके पिता ने उसे सेंटर पर होने वाले ऑफ लाइन व ऑनलाइन वर्क के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
साडिय़ों की रेंज के बारे में जाना
मुस्कान साड़ी सेंटर तेंदूखेड़ा के संचालक शिवशंकर साहू की बेटी मानसी साहू अपनी मां ज्योति के साथ शॉप पर पहुंची। ज्योति ने बताया कि वह पिता के व्यवसाय से दूर रहती थी, लेकिन पत्रिका के प्रयास की वजह से उसे शॉप में साडिय़ों के संदर्भ में जानकारी मिली। कई रेंज की साडिय़ां कहा से आती हैं और कितनी कीमत पर बेची जाती है, यह उसने समझा।

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