कुण्डलपुर पहुंचने से पहले कई किमी की पदयात्रा करने वाले मुनियों, आर्यिकाओं के पैरों में गहरे छाले हो गए हैं। जब कोई भक्त मुनि महाराजों को प्रणाम करता है, तो पैरों के यह छाले नजर आ जाते हैं और इन छालों को देखकर भक्तों की आंखे भर आतीं हैं। लेकिन मुनियों के चेहरे की मुस्कुराहट कम नहीं होती।
तकलीफ कितनी भी हो, लेकिन अंग्रेजी दवाएं वर्जित
जैन मुनि शारीरिक तकलीफ कितनी भी अधिक क्यों न हो, पर किसी तरह की अंगे्रजी दवाओं का सेवन नहीं करते हैं। बताया गया है कि अंग्रेजी दवाओं का सेवन मुनियों के लिए वर्जित रहता है। ऐसे में यह मुनि, आर्यिका भारतीय आयुर्वेद का सहारा लेते हैं।
आहार के दौरान ले सकते हैं आयुर्वेदिक काढ़ा
मुनियों, आर्यिकाओं की सेवा कार्य से जुड़े प्रमुखों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ मुनियों के लिए अस्वस्थ्यता है। इसलिए इनके लिए सागर के भाग्योदय आयुर्वेद संस्थान अथवा जबलपुर के पूर्ण आरोग्य केंद्र से तैयार होने वाली आयुर्वेदिक दवा, काढ़ा दिया जाता है। जो काढ़ा इन्हें दिया जाता है, वह मुनियों की सेवा के लिए संकल्पित भैयाजी तैयार करते हैं। वहीं मुनि या आर्यिका आयुर्वेद का सेवन अपने आहार के दौरान ही करते हैं, इसके अलावा अन्य किसी समय वह सेवन नहीं करते हैं।01:19 PM