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अस्पताल गेट के बाहर बरसते पानी में रात 3 बजे हुआ प्रसव

locationदमोहPublished: Aug 06, 2020 10:43:12 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

अस्पताल के गेट पर घंटों पड़े रहे नवजात और प्रसूता

Delivery at 3 o'clock in the rainy water outside the hospital gate

Delivery at 3 o’clock in the rainy water outside the hospital gate

दमोह/ रनेह. रनेह उप स्वास्थ्य केंद्र में बुधवार की सुबह गेट पर प्रसव होने के बाद जच्चा-बच्चा 2 घंटे तक पड़े रहे थे। इसी अस्पताल बुध-गुरु की दरम्यानी रात 3 बजे से बरसते पानी में गेट के बाहर प्रसूता तड़पती रही और गुरुवार की सुबह 4 बजे उसने बच्चे को जन्म दिया। अस्पताल गुरुवार सुबह अपने समय अनुसार 9 बजे के बाद ही खोला गया। जिससे इस प्रसूता के लिए करीब 7 घंटे बाहर रहना पड़ा।
जिले के स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के भवनों को तो आकर्षक बना दिया है,लेकिन अंदर की चिकित्सा सुविधाएं महज ड्यूटी टाइम पर औपचारिक साबित हो रही हैं, जबकि शासन की मंशा इन स्वास्थ्य केंद्रों के खोलने के पीछे उद्देश्य है कि यहां 24 घंटे आकस्मिक चिकित्सा सुविधा मरीजों को मिलती रही। लेकिन रनेह अस्पताल में फैली अव्यवस्थाएं अब लगातार सामने आ रही हैं।
ककरा तालाब निवासी स्वाति अहिरवाल को प्रसव पीड़ा होने पर उसका पति इमरत अहिरवाल रनेह अस्पताल रात्रि 3 बजे लेकर पहुंचा था। गेट पर ताला लगा हुआ था। इसी दौरान प्रसव पीड़ा बढऩे लगी। जननी एक्सप्रेस सहित अन्य को फोन लगाया गया लेकिन कहीं से रिस्पांस नहीं मिला। इस दौरान पानी गिरने लगा तो प्रसूता और परिजनों को छिपने की कोई जगह नहीं थी, अस्पताल के छज्जे की आड़ ली तो वहां भी भीग रहे थे। गुरुवार की सुबह 4.५० पर बरसते पानी में प्रसव हो गया। इस दौरान नवजात व प्रसूता दोनों भीग गए थे। रनेह अस्पताल में 2 स्टॉफ नर्स और 7 एएनएम पदस्थ हैं, लेकिन यहां रात्रिकालीन ड्यूटी करने कोई मौजूद नहीं रहता है और न ही अस्पताल के गेट पर यह व्यवस्था हैं कि इमरजेंसी में किसी को कॉल कर बुलाया जाए। जब 9 बजे के बाद स्टाफ नर्स उमा सिलावट पहुंची तो करीब 7 घंटे बाद जच्चा बच्चा को अस्पताल के अंदर किया गया। दोनों स्वस्थ्य बताए जा रहे हैं।
हटा सीबीएमओ भी टाल गए
रनेह उप स्वास्थ्य केंद्र का जिम्मा हटा सिविल अस्पताल के सीबीएमओ डॉ. पीडी करगैया के जिम्मे हैं, जिनसे इस संबंध में पक्ष जानना चाहता तो उन्होंने टालते हुए कहा कि अभी मैं मीटिंग में जा रहा हूं, बाद में बात करुंगा। देखा जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसर ऐसी अव्यवस्थाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिससे लाख दावों के बाद भी जच्चा-बच्चा को इलाज नहीं मिल पा रहा है और भगवान भरोसे रनेह अस्पताल के गेट पर दूसरा प्रसव हो चुका है।
अस्पताल के गेट पर बच्चे को दिया जन्म
कोरोना संक्रमण काल के दौरान भी दमोह जिले के ग्रामीण उप स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। बुधवार को रनेह गांव से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसमें अस्पताल के गेट पर ताला लटका रहा। इसी दौरान गेट पर प्रसव हो गया और घंटों जच्चा-बच्चा अस्पताल के गेट पर ही पड़े रहे।
रनेह के वार्ड नंबर 7 निवासी सोना आदिवासी को प्रसव पीड़ा होने पर सुबह 7 बजे रनेह उप स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जहां पर ताला लगा हुआ था। गरीब परिवार ने जननी एक्सप्रेस सहित जिम्मेदारों को फोन लगाने का प्रयास किया लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। इसी बीच दर्द बढऩे के साथ गेट पर खुले आसमान पर प्रसव हो गया। इसके बाद जच्चा-बच्चा दोनों करीब दो घंटे तक अस्पताल खुलने का इंतजार करते रहे।
बारिश देखते हुए भृत्य को बुलाया
करीब 8.30 बजे पत्रिका खबर सैनानी को खबर लगी तो उसी दौरान आसमान पर बादल छा रहे थे, पानी गिरने ही वाला था। उन्होंने तत्काल भृत्य कल्लू बाई पहुंची। जच्चा-बच्चा दोनों को अंदर कराया ही इसके 10 मिनट बाद तेज पानी गिरने लगा था। यदि वह लेट हो जाती तो जच्चा-बच्चा बारिश के पानी में भीग जाते।
10 बजे पहुंची नर्स
उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ नर्स नीलिमा पदस्थ हैं, जो अपना मुख्यालय रनेह में न बनाकर हटा में बनाए हुए हैं। जहां से अपडाउन करती हैं। जिससे वह यहां काफी देर से पहुंची थीं। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की अव्यवस्थाएं आए दिन होती रहती हैं।
सीएमएचओ नहीं करतीं कॉल रिसीव
सीएमएचओ के प्रभार पर डॉ. संगीता त्रिवेदी हैं, लेकिन वह कॉल रिसीव करने से परहेज करती हैं। उन्हें कई बार कॉल लगाने के बाद जिले के स्वास्थ्य महकमे में फैली अव्यवस्थाओं से कोई सरोकार नहीं है। जिससे जिले में कोरोना को छोड़कर अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं लडख़ड़ाई हुई हैं। प्रसव के लिए जहां अनेक सुविधाएं हैं, उसके बाद भी अनेक प्रसूताओं को इन सुविधाओं से महरूम रखा जा रहा है।
 
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