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दमोह

अतिक्रमण हटाने पहुंचा वन अमला तो रहवासी आ गए सड़क पर, जमकर हुआ विवाद

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4 years ago
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शुरुआती कार्रवाई के दौरान टीम ने दो घरों की दीवारों को जमींदोज कर दिया। लेकिन कुछ ही मिनट के भीतर यहां के करीब दो सौ से अधिक परिवार सड़क पर आ गए और उन्होंने कार्रवाई का विरोध करना शुरु कर दिया। इस दौरान लोग जेसीबी के सामने आ गए और चलने से रोक दिया।

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जब कार्रवाई को टीम आगे बड़ी तो मौजूदा लोगों के साथ विवाद शुरु हो गया। करीब एक घंटे तक जमकर विवाद की स्थिति बनी रही। लोगों ने जहां वन विभाग पर पैसा लेकर वन भूमि पर मकान बनाने के आरोप लगाए तो वहीं दूसरी तरफ वन विभाग के कुछ कर्मचारियों ने लोगों के साथ अभद्रता शुरु कर दी। कर्मचारियों ने लोगों को खुलेआम गालियां दीं।

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इसी बीच मौके पर भाजपाई भी पहुंच गए और इन्होंने विरोध का नेतृत्व करते हुए वन विभाग के अधिकारियों से बात की। रैंजर ने कहा नए कब्जे तोड़े

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वैसे तो आरएफ105 की वन भूमि पर करीब एक हजार से अधिक मकान बन चुके हैं। इनमें एक चौथाई मकान ऐसे हैं जिन्हें बने हुए करीब 30 से40 साल हो चुके हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों के भीतर मकान बनाए जाने का काम इस इलाके में तेजी से हुआ और देखते ही देखते संख्या सैकड़ों में पहुंच गई।

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कब्जे हटाने की कार्रवाई करने पहुंचे रैंजर कृष्णा नामदेव ने बताया कि अभी सिर्फ नए कब्जों को तोड़ा जा रहा है। लेकिन लोग इसका विरोध कर रहे हैं। रैंजर ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पुराने कब्जों को तोडऩे का आदेश नहीं मिला है। वन विभाग ने ही कराया अवैध कब्जा विवाद के दौरान लोगों ने इस बीट की जिम्मेदारी निभाने वाले कर्मचारियों पर पैसा लेकर मकान बनवाने का आरोप लगाया। लोगों ने बताया कि कर्मचारियों द्वारा पांच हजार से दस हजार रुपए लिए गए और मकान बनने दिए। जबकि मकान हटाने ही थे तो पैसा लेकर कब्जा नहीं कराना चाहिए थे। अब जब लोगों ने पक्के मकान बना लिए तो विभाग द्वारा तोडऩे की कार्रवाई की जा रही है।

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इस संबंध में रैंजर ने लोगों से कहा कि वह संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध पैसा लेने की लिखित शिकायत करें। पहले भी हो चुकीं इस तरह की कार्रवाईयां

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शहर से सटे इस इलाके में कब्जा हटाने की कार्रवाई यह पहली अथवा दूसरी बार नहीं हुई है। बल्कि दर्जनों बार यहां पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा चुकी है। इधर विभाग जमीन को कब्जा मुक्त करता है तो वहीं दूसरी तरफ कार्रवाई के दौरान टूटे हुए मकानों से दो गुना मकान कार्रवाई के बाद अगले एक माह के भीतर ही बन जाते हैं। लगातार ऐसा ही यहां पर देखा जा रहा है। जहां कुछ साल पहले पचास परिवार निवासरत थे आज वहां पर पांच सौ से अधिक परिवार रह हैं। खासबात यह है कि सभी परिवार अति गरीबी की श्रेणी में आते हैं। हालांकि इन्हीं के बीच कुछ नौकरी पेशा के लोग भी कब्जा कर मकान बनाकर रह रहे हैं। इनमें वन विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं। मकान तोडऩे हैं तो ऊपर से निकाले जेसीबी कार्रवाई का विरोध कर रहे लोग काफी आक्रोषित देखे गए। महिलाएं बच्चे बुर्जग जेसीबी के सामने आ गए और कहने लगे कि मकान तोडऩे हैं तो जेसीबी हमारे ऊपर से निकालनी पड़ेगी। कार्रवाई पूरी हो जाए यह प्रयास तो विभाग की टीम ने भरपूर किया लेकिन उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकी। महिलाएं छोटे छोटे बच्चे गोद में लिए थीं और विरोध करने सड़क पर आ गईं थीं। इसी दौरान उस वक्त स्थिति अधिक बिगडऩे लगी थी जब कर्मचारियों द्वारा लोगों से गाली गलौज की जाने लगी। स्थिति को बिगड़ता देखकर कब्जे हटाने पहुंची टीम पीछे पैर वापस लौट गई।

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