खेती में बदलाव कर रहे हैं किसान
दमोहPublished: May 28, 2020 10:08:32 pm
परंपरागत खेती के साथ पिपरमेंट की खेती में बढ़ाए कदम
Farmers are making changes in farming
खड़ेरी. अब खेती में भी बदलाव नजर आने लगा है। किसान पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक खेती की ओर भी कदम बढ़ा रहे हैं। बटियागढ़ ब्लॉक के लड़ई बम्हौरी गांव के किसान अब पिपरमेंट की खेती से नई इबारत लिखने के लिए मेहनत कर रहे हैं।
लड़ई बम्हौरी के किसान दर्शन सिंह, राघवेंद्र सिंह ने बताया कि वह इस समय बीज रोपकर पौध तैयार कर रहे हैं। यह पौध अत्याधिक बारिश होने पर रोपी जाएगी। पिपरमेंट खेती का तरीका धान की खेती की तरह है। इसमें बीज रोपण गर्मियों में किया जाता है।
छतरपुर के रिश्तेदारों से सीखी खेती
पिपरमेंट की खेती छतरपुर जिले में बड़े स्तर पर होती है। जिससे लड़ाई बम्होरी गांव के किसान राघवेंद्र सिंह व दर्शन सिंह ने वहां अपने रिश्तेदारों के यहां इस खेती को देखा। फिर इसे अपने गांव में करने का विचार किया। अपने साथियों को खेती करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि पिपरमेंट की खेती करने के लिए जमीन सम होना बहुत जरुरी है। काली और चिकनी मिट्टी इस खेती के लिए सबसे उपयोगी है। इस खेती को करने में प्रति एकड़ औसतन लागत 15 से 20 हजार रुपए आती है। किसानों के मुताबिक एक एकड़ में करीब 35 से 40 किलो पिपरमेंट का ऑयल तैयार हो जाता है और फसल तैयार हो जाने पर अच्छे दाम में पिपरमेंट ऑयल बिक जाता है।
जड़ से निकलता है ऑयल
किसान दर्शन सिंहए राघवेंद्र पटैल का कहना है कि हम छतरपुर से पिपरमेंट का बीज या जड़ लेकर आए थे। उसकी कीमत लगभग पांच से 6 हजार रुपए थी। हम पिछले दो साल से इस खेती को कर रहे हैं। हम लोगों को 1 लीटर पिपरमेंट ऑयल की कीमत 1800 से 2000 मिलती है। हम लोग ट्रैक्टर से फसल लेकर छतरपुर जाते हैं। वहां से ऑयल निकाला जाता है। हैरानी की बात यह है कि किसानों के ठंडे तेल को पैदा करने के लिए अगस्त से नवंबर और मार्च से जून के बीच कड़ाके की धूप और तपन में खेती करनी पड़ती है। यह पिपरमेंट की खेती थोड़ी कठिन है, लेकिन लाभ ज्यादा है।
किसानों ने बताए अपने अनुभव
पिपरमेंट की खेती के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले लड़ाई बम्होरी गांव के किसान राघवेंद्र पटेल व दर्शन सिंह ने बताया कि वे दो साल से पिपरमेंट की खेती कर रहे हैं। जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है। यह फसल तीन से चार महीने में आ जाती है। और इसे साल में दो बार भी लगा सकते हैं। अगस्त से नवंबर माह में फसल की कटाई हो गई थी। पिपरमेंट की खेती किसी को करना है, तो मार्च में इसे लगा सकते हैं। उसकी कटाई लगभग जून माह में हो जाएगी। भारतीय किसान संघ तहसील मीडिया प्रभारी रवि पटेल का कहना है कि राघवेंद्र पटेल ने परंपरागत खेती के साथ-साथ क्षेत्र में पिपरमेंट की खेती की है। हमारे क्षेत्र में ही यदि प्लांट लग जाएगा तो किसानों को पिपरमेंट का ऑयल निकलवाने छतरपुर नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि इसमें 3 से 4 हजार रुपए तो भाड़ा ही लग जाता है वह खर्च बचने लगेगा।