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संकट में अन्नदाता- खामोश मेघों से चिंता में किसान, वनांचल में बेहद खराब हालात

locationदमोहPublished: Jul 20, 2019 07:42:36 pm

Submitted by:

rakesh Palandi

रेतीली मिट्टी होने के कारण हर दिन खराब हो रहा अंकुरण, ग्रोथ रुकी

Farmers who have put seeds now suffer from the absence of rain

फसल की उम्मीद में खेतों में बीज डाल चुके किसान

मडिय़ादो. अच्छी फसल की उम्मीद में खेतों में बीज डाल चुके किसानों को अब बारिश के नहीं होने से नुकसान उठान पड़ रहा है। दरअसल मानसून की आमद के साथ हुई बारिश से किसानों ने बोवनी तो कर दी। लेकिन फिर एक सप्ताह से अधिक बीतने के बाद बारिश लौट कर नहीं आई जिसके चलते खेतों में खरीफ के सीजन में की गई उड़द, तिल, मक्का व सोयाबीन सहित अन्य फसलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सबसे खराब हालात वनांचल क्षेत्र में दिखाई दे रहे हैं। अंचल के कारीबरा, घोघरा, उदयपुरा, बछामा सहित अन्य गांवों में पंद्रह दिन से बारिश वापस नहीं आई । आदिवासीय बाहुल्य इस क्षेत्र में सभी गरीब किसान वर्षा आधारित खेती पर आश्रित हैं लेकिन इस सीजन में यह लोग खेतों में जुताई, बोवाई और खाद बीज में लागत लगा चुके हैं।
बारिश की बेरूखी खरीफ सीजन की फसलों के लिए संकट बन रहा है। दरअसल तीन सप्ताह पूर्व में हुई प्री-मानसून बारिश के बाद किसानों द्वारा बोवनी कर दी थी। पर्याप्त बारिश नहीं होने के बाद भी किसानों द्वारा इस उम्मीद पर बीज खाद खेतों में डाल दिया की अच्छी बारिश होगी और बंफर फसल से लाभ मिलेगा। लेकिन किसानों की इस उम्मीद पर मौसम ने पानी फेर दिया। अब किसान कभी खेत तो कभी आसमान को देख कर बारिश की आस लागए बेठा हुआ है। बीते 10 दिनों से क्षेत्र में मौसम ने ऐसी करवट ली कि बारिश का कहीं नाम ही नहीं है। खेतों में जो नमी थी दो दिनों से निकल रही तेज धूप से वह भी गायब हो चुकी है। किसानों का मानना है कि यदि दो चार दिन में बारिश नहीं हुई तो किसान भारी नुकसान झेलने मजबूर हो जाएगा।
रूक गई ग्रोथ
प्री-मानसून में की गई बोवनी के बाद खेतों में अंकुरण तो हुआ है। लेकिन मानसून की लेटलतीफी के चलते फसल की ग्रोथ रूक गई है। सोयाबीन, अरहर, मूंग व उड़द आदि के अंकुरण तीखी धूप और उमस भरी गर्मी के कारण झुलस रहे हैं। कुछ किसान अभी भी बोवनी इसलिए नहीं कर सके कि बारिश की कोई उम्मीद ही नजर नहीं आ रही है। वहीं जो किसान बोवनी कर चुके हंै वह बारिश की बेरुखी के चलते फसलें देख चिंतित हैं।

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