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वन भूमि पर हो रही खेती, बन गए मकान

locationदमोहPublished: Oct 11, 2019 10:35:42 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

अवैध पत्थर का उत्खनन भी जोरों पर

Farming is being done on forest land, houses have become

Farming is being done on forest land, houses have become

दमोह/ नोहटा. नोहटा के नोहलेश्वर से लेकर 17 मील और उसके इर्द-गिर्द करीब 10 किमी के दायरे गांवों की वन भूमि पर लंबे अरसे से अतिक्रमण होते रहे। यह अतिक्रमण वन अमले के कर्ताधर्ता ही कुछ रुपयों की लालच में कराते रहे, जो आज वन विभाग के लिए खासा सिरदर्द बन गया है। अभी भी वन भूमि पर खेती हो रही है, अवैध रूप से पत्थर का उत्खनन हो रहा है और कई मकान बने हुए हैं।
दरअसल वन भूमि अमले ने गुरुवार को जो कार्रवाई की है, उसमें बताया जाता है कि ढाबा संचालक एम एजाज खान ने करीब 30 एकड़ वन भूमि पर कब्जा कर खेती करना शुरू कर दी थी। इसके साथ ही कुछ भाजपा नेताओं ने भी वन भूमि पर कब्जा कर लिया था। इनकी आड़ में आदिवासी व दूसरे लोगों ने रहने के लिए अपने मकान बना लिए थे। यह सिलसिला काफी लंबे समय से चल रहा था।
पत्रिका ने शुक्रवार को नोहलेश्वर मंदिर नोहटा से 17 मील से गाड़ाघाट व करीब 10 किमी के दायरे में भ्रमण किया तो वन भूमि पर अतिक्रमण की बाढ़ सी नजर आई। जिसने इस भूमि का जो उपयोग समझा उस पर कब्जा जमा लिया है।
सड़क किनारे ही जोत दी जमीन
गाड़ाघाट में सड़क के दोनों ओर मकान बने हुए हैं। जमीन भी जोत कर खेती की जा रही है। इस गांव में 17 मील से लेकर गाड़ाघाट के एक किमी के दायरे में वन भूमि की एक इंच भी जगह अतिक्रमणकर्ताओं ने खाली नहीं छोड़ी है, यह कब्जे लंबे समय से काबिज हैं।
कुलुआ व बहेरिया में संचालित हो रहीं खदान
पत्रिका ने कुलुआ व बहेरिया गांव की वन भूमि के हाल जाने तो यहां की वन भूमि पर अवैध रूप से खदानें संचालित हो रहीं थीं। कीमती पत्थर निकालकर खनन माफिया बेच रहा था। लंबे समय से सभी की नजरों के सामने यह खदानें संचालित हो रहीं थीं।
नोहलेश्वर तालाब की तलहटी पर कब्जा
दो साल पहले नोहलेश्वर तालाब का निर्माण किया गया था। इस तालाब से ही वन भूमि लगी है, जिसकी तलहटी में अवैध रूप से कई मकान बन गए हैं। इसके अलावा खेती भी होने लगी है, इस तालाब का खेती के लिए उपयोग किया जा रहा है।
इन गांवों में भी है अतिक्रमण
साखा भजिया के साखा गांव के 4 किमी दायरे में वन भूमि पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। इसके अलावा कनेपुर रोड तिराहा पर फसलें दिखाई दे रही हैं, यहां आसपास मकान भी बने हुए हैं। मौसीपुरा व पिपरिया गांव में भी वन भूमि पर बेजा कब्जे हुए हैं। इन कब्जों को हटाया नहीं गया है।
जांच के बाद हुए निलंबित
नोहटा से लेकर सगौनी परिक्षेत्र में वन अमले द्वारा ही रुपए लेकर अतिक्रमण कराए गए हैं। यह सिलसिला पिछले 50 सालों से जारी था, लेकिन इस अंतराल में कभी न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही जांच हुई है। इसके बाद कांग्रेस शासन के आते ही वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण की जांच हुई। जिसमें दोषी पाए गए तत्कालीन सगौनी रेंजर महोबिया, डिप्टी रेंजर राजेंद्र अहिरवाल व वनपाल सलामत खान को निलंबित किया गया। जांच के बाद पाया गया कि मुख्य सड़क पर स्थित वन भूमि पर ही दो ढाबा, दो दुकान व 9 मकान खड़े हुए हैं। इसके अलावा अंदरुनी इलाके में भी अवैध कब्जे हैं। जिस पर वन भूमि ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई की है। आगे भी कई वर्षों से फैले इन अतिक्रमणों को हटाने की तैयारी वन विभाग द्वारा की जा रही है।
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