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15 दिन खिलाई हलुआ-पूरी और खीर, विदा किया दही-भात खिलाकर

locationदमोहPublished: Sep 20, 2017 04:50:34 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Pandey

पितृ मोक्ष अमावस्या पर महाआरती के बाद कुशा का किया गया विसर्जन

Fathers-goddess Apostles on the new moon

Fathers-goddess Apostles on the new moon

दमोह. आश्विन माह के पितृ पक्ष में तर्पण व श्राद्ध करने वाले श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के लिए 15 दिन तक हलुआ, पूरी और खीर के साथ 56 व्यंजनों का भोग लगाया। अंतिम दिन विदाई के दिन दही-भात का भोग लगाकर कुशा विर्सजन करते हुए पितरों को उनके धाम विदा किया।
बुंदेलखंड अंचल में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है। अपने पितरों के प्रति श्रद्धा का भाव रखने वाले श्रद्धालु अपनी कई पीढिय़ों के पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का भाव अर्पित करते हैं। पूर्णिमा से अमावस्या तक चलने वाली नित्य क्रियाओं में जिन श्रद्धालुओं द्वारा अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा के भाव प्रकट किए जाते हैं, वे सुबह उठकर तालाब, सरोबर, नदी में पहुंचकर जल तर्पण करते हैं उसके बाद घर आकर भोजन का अर्पण पूर्वजों के लिए करते हैं, जिससे कोई अतृप्त रही हो वह इन 15 दिनों में तृप्त हो जाए।
इस बार बुंदेलखंड अंचल में अपने पूर्वजों को अर्पित किए जाने वाला भोजन नए ट्रेंड के साथ बदल गया है, लोगों ने खीर, पूरी, हलुआ के अलावा साऊथ इंडियन डिशों का भी भोग लगाया। तालाब पर पहुंचने वाली युवा पीढ़ी की संख्या सर्वाधिक रही, जिसने नए ट्रेंड में चलने वाले व्यंजनों का भी भोग लगाया।
बुधवार को पितृ मोक्ष अमावस्या के अवसर पर अपने पितृों को विदा करने के लिए जलाशय पर पित्र स्त्रोत पाठ के माध्यम से पूजन अर्चन आरती के साथ कुशा विसर्जन कर अपने पितरों को विदाई दी। पुरैना तालाब पर सुबह ८.३० बजे से 11 बजे तक पितृरों को विदाई देने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे। यहां पं. राहुल पाठक द्वारा पित्र-स्त्रोत का पाठ किया गया। यहां श्रद्धालुओं ने दही-भात का पिंडदान कर अपने पूर्वजों को विदा किया। कर्पूर आरती के बाद इन 15 दिनों में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगी।
पं. राहुल शास्त्री के अनुसार आश्विन माह हिंदू धर्म के लिए विशेष आराधना का मार्ग होता है, इस दौरान बिछुड़े परिजन के प्रति श्रद्धा रखी जाती है। मान्यता है कि पूर्वज 15 दिन के लिए पृथ्वी लोक पर आते हैं और वह यह देखते हैं कि उनके परिजन उनके प्रति कितनी श्रद्धा रख रहे हैं। यदि कहीं कमीं या भूल चूक नजर आती है तो उस परिवार को कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है।
हटा नगर में पितृ पक्ष पर तंतुवाय समाज द्वारा राधा-रमण सरकार की महाआरती का आयोजन किया गया। इस समाज द्वारा पितृ-पक्ष के अवसर पर राधा-रमण सरकार को मंदिर के बाहर विराजमान कराते हैं। जहां प्रभु की झांकी की विशेष साज-सज्जा की जाती है। साथ ही 15 दिनों तक 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं और शाम को भक्तों के निवास से महाआरती नगर में भ्रमण करती है। जिसमें ढोल नगाड़े रहते हैं। पितृ मोक्ष अमावस्या पर महाआरती के बाद भगवान को मंदिर के अंदर विराजमान कराया जाता है, यह अनूठी परंपरा भी आश्विन माह पर विशेष आकर्षण का केंद्र बनी रही।


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